11 साल की उम्र में गीता अपने परिवार से बिछड़ गई थी
कराची/ नई दिल्ली: पिछले तीन हफ्ते से गीता की कहानी में भारत और पाकिस्तान की दिलचस्पी बढ़ती जा रही है। मूक-बधिर गीता तब ग्यारह साल की थी जब वह गलती से भारतीय सीमा पार करके पाकिस्तान पहुंच गई थी। इसके बाद उसे पाकिस्तान के सामाजिक कल्याण संगठन एधि फाउंडेशन को सौंप दिया गया था। संस्था की संचालक बिलक़ीस एधि ने उसे गीता नाम दिया था। शुक्र है सलमान खान की ब्लॉकबस्टर 'बजरंगी भाईजान' का जिसने गीता और उसके बिछड़े परिवार की तरफ सबका ध्यान खींच लिया।
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने आज ट्विटर पर एनडीटीवी की गीता को अपने परिवार से मिलाने की पहल की सराहना की। साथ ही उन्होंने गीता की बनाई एक ड्रॉइंग शेयर की जिसमें उसने अपना मकान नं 193 बताया है, साथ ही ये भी उसके घर के पास एक तालाब, खेत और प्रसूति केंद्र हुआ करता था।
गीता ने इस ड्रॉइंग के ज़रिए अपने घर का पता बताने की कोशिश की है
इसके अलावा गीता ने अपने परिवार के सदस्यों के नाम भी लिखकर बताए।
हालांकि अभी तक पता नहीं चल पाया है कि गीता किन हालातों में सीमा पार आ गई थी। कई सालों से एधि फाउंडेशन के संस्थापक अब्दुल सत्तार एधि, गीता को अपने साथ मंदिर ले जाते रहे हैं। एक तरफ गीता हिंदु त्यौहार मनाती है, वहीं ईद का भी बड़े ज़ोरों-शोरों से हिस्सा बनती है।
एनडीटीवी की टीम जब गीता से मिली तो उसने अपने परिवार से मिलने की इच्छा जताई। अभी तक पंजाब और झारखंड के दो दंपतियों ने गीता के अभिभावक होने का दावा किया है लेकिन अधिकारियों की माने तो इस पर जल्दी भरोसा नहीं किया जा सकता। (पढ़ें- पंजाब, बिहार, झारखंड और यूपी के चार परिवारों ने गीता को बताया अपनी बेटी)
एधि ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा कि गीता को भारत में अपना परिवार मिले या ना मिले, कराची में तो उसका एक घर हमेशा ही रहेगा।