मर्सिडीज़ रथ में अखिलेश यादव के साथ पत्नी डिंपल भी सवार, कहा 'मिलकर प्लान किया था'

मर्सिडीज़ रथ में अखिलेश यादव के साथ पत्नी डिंपल भी सवार, कहा 'मिलकर प्लान किया था'

अपनी पत्नी डिंपल यादव के साथ अखिलेश यादव पहले दिन 100 किमो की रथ यात्रा पूरी करेंगे

खास बातें

  • अखिलेश यादव की विकास रथ यात्रा में पत्नी डिंपल यादव भी शामिल हैं
  • डिंपल ने बताया कि इस यात्रा की योजना में उन्होंने भी विचार रखे थे
  • पहले दिन 100 किमो की यात्रा पूरी करने की योजना है
लखनऊ:

अखिलेश यादव ने एक हाई-टेक मर्सिडीज़ बस में अपनी विकास रथ यात्रा की शुरुआत कर दी है. इस दौरान अखिलेश का दार्शनिक पहलू सामने आया जिसमें उन्होंने परिवार और खासतौर पर पिता मुलायम सिंह यादव से हाल ही में हुए मनमुटाव के बारे में बात की. अखिलेश ने कहा 'महाभारत और राजनीति में विजयी वह होता है जो सही होता है और अच्छाई के रास्ते पर चलता है.'

हफ्तों से चल रही पारिवारिक उठापटक के बाद यादव परिवार ने एकजुटता का प्रदर्शन करते हुए अखिलेश यादव के चुनावी अभियान के आगाज़ पर उपस्थिति दर्ज की जिसमें पिता मुलायम और चाचा शिवपाल यादव मौजूद थे. बता दें कि दो हफ्ते पहले ही अखिलेश, शिवपाल और मुलायम सिंह यादव के बीच एक सार्वजनिक बैठक में तू तू मैं मैं हो गई थी.

मर्सिडीज़ रथ में मौजूद अखिलेश की पत्नी डिंपल कहती हैं 'जो हुआ वो अतीत था. बुजुर्गों की मौजूदगी हौसला बढ़ाती है.' इस यात्रा में अखिलेश के साथ डिंपल और उनके तीन बच्चे भी हैं. आमतौर पर मीडिया के सामने चुप रहने वाली डिंपल ने इस अभियान के बारे में कहा कि 'हमने इसे मिलकर प्लान किया है. जब जब मुझसे पूछा गया मैंने अपनी राय रखी.'

बता दें कि अखिलेश और उनके चाचा शिवपाल यादव के बीच लगातार मतभेद के बाद सीएम ने उन्हें कैबिनेट से बाहर का रास्ता दिखा दिया था. इसके बाद पार्टी में दरार आ गई. मुलायम सिंह ने साफ कर दिया था कि वह अपने भाई के साथ हैं और अगर समाजवादी पार्टी दोबारा चुनी जाती है तो कोई गारंटी नहीं है कि अखिलेश यादव ही बतौर सीएम वापसी करें. इस पर अखिलेश ने बेहद संतुलित तरीके से प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वह अपने पिता की चुनाव जीतने में मदद करने के लिए यह यात्रा कर रहे हैं.

शिवपाल यादव ने इशारा किया था कि बीजेपी के खिलाफ बड़ा मोर्चा खड़ा करने के लिए सपा, कांग्रेस और अन्य पार्टियों से हाथ मिला सकती है. इस पर अखिलेश ने सोच समझकर जवाब देते हुए कहा कि 'जब पार्टियां हाथ मिलाती हैं तो उनका मकसद बेहतर प्रदर्शन करना और अपना दायरा बढ़ाना होता है. लेकिन इस स्थिति में किसका नुकसान होगा और किसका हिस्सा घटेगा यह भी तो सोचने वाली बात है?'


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