यह ख़बर 14 जनवरी, 2014 को प्रकाशित हुई थी

ऑपरेशन ब्लू स्टार को लेकर ब्रिटेन से लेकर भारत तक में विवाद

नई दिल्ली:

वर्ष 1984 में स्वर्ण मंदिर से आतंकवादियों को खदेड़ने के लिए चलाए गए ऑपरेशन ब्लू स्टार में मार्ग्रेट थैचर सरकार द्वारा भारत को मदद दिए जाने के संबंध में किए गए दावों से दोनों ही देशों में एक नया विवाद खड़ा हो गया है। वरिष्ठ भाजपा नेता अरुण जेटली ने जहां इस अभियान से जुड़े सभी दस्तावेज सामने लाने की मांग की है, वहीं उस अभियान की अगुवाई करने वाले ले. जनरल (रिटायर्ड) के एस बराड़ ने कहा कि उस ऑपरेशन की योजना और कार्यान्वयन भारतीय सैन्य कमांडरों ने किया था।

बराड़ ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा, 'मैं आश्चर्यचकित हूं, क्योंकि ऑपरेशन की योजना और इसका कार्यान्वयन भारत में सैन्य कमांडरों ने किया था। कोई सवाल ही नहीं है.. हमने कभी भी किसी ऐसे व्यक्ति को नहीं देखा जो ब्रिटेन से आया हो और हमें बता रहा हो कि किस प्रकार ऑपरेशन की योजना बनानी है।'

उन्होंने कहा कि उस ऑपरेशन में ब्रिटिश एजेंसियों की कोई भूमिका नहीं थी, जिसमें एक हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे। उन्होंने कहा कि सामने आए उन दस्तावेजों की प्रमाणिकता की जांच की जानी चाहिए, जिनमें इंग्लैंड की सहायता की बात की गई है।

वहीं, राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने कहा कि यह समय है जब भारत सरकार हमें इस बारे में सच बताने का फैसला करे कि असल तथ्य क्या थे। इससे भारत की जनता यह फैसला कर पाएगी कि 'ऑपरेशन ब्लू स्टार' रणनीतिक गलती थी या नहीं।

इस बीच, ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने अपने कैबिनेट सचिव को इस दावे से जुड़े तथ्य पेश करने को कहा है, जिसमें वर्ष 1984 में इंदिरा गांधी की ऑपरेशन ब्लू स्टार की योजना में मार्ग्रेट थैचर की सरकार द्वारा मदद करने की बात कही गई है।

लेबर सांसद टॉम वाटसन और लॉर्ड इंद्रजीत सिंह ने हाल ही में गोपनीयता की सूची से हटाए गए दस्तावेजों के आधार पर इस स्पष्टीकरण की मांग की है। इन दस्तावेजों में ऐसे संकेत मिले हैं कि ब्रिटेन की विशेष वायु सेवा (एसएएस) के अधिकारियों को स्वर्ण मंदिर पर धावा बोलकर अंदर छिपे आतंकियों को निकालने की योजना में भारत की मदद करने के लिए भेजा गया था। इस अभियान में एक हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे।

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ब्रिटिश सरकार के प्रवक्ता ने एक बयान जारी कर कहा, 'इन घटनाओं से बड़ी संख्या में जानें गईं और इन दस्तावेजों के कारण पैदा होने वाली वाजिब चिंताओं को हम समझते हैं। प्रधानमंत्री ने कैबिनेट सचिव से कहा है कि वह इस मामले को तत्काल देखें और तथ्य पेश करें।'