यह ख़बर 21 सितंबर, 2014 को प्रकाशित हुई थी

भारत सरकार ने कहीं पर भी 'शहीद' शब्द को परिभाषित नहीं किया है : गृह मंत्रालय

नई दिल्ली:

सेना और अर्द्धसैनिक बलों के जवानों को मुआवजा और सम्मान प्रदान करने में किसी तरह का भेदभाव किए जाने को सिरे से खारिज करते हुए गृह मंत्रालय ने कहा है कि भारत सरकार ने कहीं पर भी 'शहीद' शब्द को परिभाषित नहीं किया है।

सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत गृह मंत्रालय के पुनर्वास एवं कल्याण निदेशालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, 'सरकार द्वारा केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों तथा रक्षा बलों में दोहरा मानक नहीं अपनाया जाता है तथा न ही कोई फर्क किया जाता है। केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों तथा रक्षा बलों की सेवा शर्तें विभिन्न अधिनियमों तथा नियमों के तहत प्रशासित होती हैं।'

निदेशालय ने कहा, 'इन नियमों के अंतर्गत दिए गए प्रावधानों के अनुसार ही ये बल कार्य करते हैं और इन्हीं के अनुसार सेवाकाल एवं सेवानिवृत्ति के लाभों के पात्र हैं।'

गृह मंत्रालय के पुनर्वास एवं कल्याण निदेशालय ने कहा, 'भारत सरकार द्वारा कहीं पर भी 'शहीद' शब्द को परिभाषित नहीं किया गया है। सरकार विभिन्न सशस्त्र बलों के कर्मियों द्वारा किए गए बलिदान में कोई भेदभाव नहीं करती है।'

आरटीआई के तहत मंत्रालय ने बताया कि केंद्रीय सशस्त्र बलों के ऐसे कर्मियों को जिनकी कर्तव्य निर्वहन के दौरान मृत्यु हो गई हो, उनके संबंध में गृह मंत्रालय की ओर से कोई आदेश या अधिसूचना (शहीद या मृत घोषित करने के संबंध में) जारी नहीं की गई है।

दिल्ली स्थित आरटीआई कार्यकर्ता गोपाल प्रसाद ने गृह मंत्रालय से पूछा था कि एक ही कार्य में लगे सेवा एवं अर्द्धसैनिक बलों के जवानों की जान जाने की स्थिति में क्या सेना का जवान 'शहीद' कहलाने का हकदार है जबकि अर्द्धसैनिक बलों के ऐसे जवान सिर्फ मृतक घोषित होते हैं।

गृह मंत्रालय के पुनर्वास एवं कल्याण निदेशालय ने बताया कि केंद्रीय सशस्त्र बलों के ऐसे कर्मियों को, जिनकी कत्र्तव्य निर्वहन के दौरान मृत्यु हो गई हो, उनके परिवारों या निकटतम संबंधियों को लिबरलाइज्ड पेंशनरी अवार्ड (एलपीए) नियमावली के अंतर्गत पूरी पारिवारिक पेंशन अर्थात अहरित अंतिम वेतन और स्वीकार्य अन्य अनुग्रह (लाभ के अलावा) नियमानुसार मुआवजा प्रदान किया जाता है।

आरटीआई के तहत यह पूछे जाने पर कि सेना एवं अर्द्धसैनिक बलों में एक समान नीति एवं नियमावली लागू करने के लिए क्या कोई समिति या आयोग गठित किया गया है, मंत्रालय ने कहा, 'इस संबंध में कोई कमेटी या आयोग नहीं है।'

मंत्रालय से पूछा गया था कि सेना और अर्द्धसैनिक बलों के शहीदों के परिवारों को दी जाने वाली सुविधाओं और क्षतिपूर्ण में क्या दोहरा मानक अपनाया जाता है।

आरटीआई के तहत प्राप्त जानकारी के अनुसार, दुश्मन से मुकाबला करते हुए अपूर्व वीरता एवं शौर्य का प्रदर्शन करने के लिए अशोक चक्र प्रदान किया जाता है। इसे राष्ट्रपति प्रदान करते हैं। यह सम्मान सेना, नौसेना और वायु सेना, किसी रिजर्व बल या प्रदेशिक सेना के सभी रैंक के पुरुष या महिला अधिकारियों को समान रूप से दिया जाता है।

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इसी शृंखला में एक अन्य सम्मान कीर्ति चक्र और शौर्य चक्र हैं। इन सम्मानों की सिफारिश करने के लिए रक्षा मंत्रालय शीर्ष मंत्रालय है।