मणिपुर में सेना पर हमले के 72 घंटे के भीतर कार्रवाई करना चाहती थी सरकार

नई दिल्ली:

म्यांमार से लगी मणिपुर और नगालैंड की सीमाओं पर और सरहद पार जाकर मणिपुरी उग्रवादियों के कैंप तबाह करने की योजना ठीक हमले के दिन बना ली गई थी। गृह मंत्रालय बता रहा है कि इसके लिए बड़े पैमाने पर तैयारी हुई।

ये रणनीतिक और राजनीतिक दोनों स्तरों पर बड़ा फ़ैसला था। गृह मंत्रालय के मुताबिक इसकी तैयारी काफी पहले कर ली गई थी। 4 जून को उग्रवादियों के हमले के दिन ही नॉर्थ-ब्लॉक में जवाबी कार्रवाई को लेकर बैठक हुई। बैठक में गृहमंत्री, रक्षामंत्री, गृह राज्यमंत्री, एनएसए प्रमुख, रॉ प्रमुख, सेना प्रमुख सब शामिल हुए।

केंद्र सरकार चाहती थी कि कार्रवाई 72 घंटों में की जाए, लेकिन सेना अध्यक्ष ने कहा कि सेना इतनी जल्दी इस ऑपरेशन को अंजाम नहीं दे सकती। एयर स्ट्राइक यानी हवाई कार्रवाई के लिए योजना बनाई गई।

हमले में मिग-29 और सुखोई को इस्तेमाल की जाने की योजना थी, लेकिन फिर टाल दी गईस क्योंकि उसमें कोलैटरल यानी आसपास काफी नुक्सान हो सकता था।

अगले दिन अजित डोवाल और सेना प्रमुख दलबीर सिंह इंफाल पहुंचे। पहले सोमवार सुबह ही कार्रवाई होनी थी, लेकिन प्रधानमंत्री की हरी झंडी के लिए एक दिन इंतज़ार किया गया।

गृह राज्य मंत्री किरण रिजीजू ने एनडीटीवी इंडिया से कहा कि उन्होंने हमारे घर में घुसकर हमें मारा था, इसीलिए जवाब दिया गया।

बताया जा रहा है कि हमले के दौरान ही म्यांमार सरकार को इसकी ख़बर दी गई और उसको भरोसे में लिया गया। इसके पहले विदेश सचिव ने म्यांमार का दौरा भी किया था।

इस ऑपरेशन में उग्रवादियों के NSCN (K) के मणिपुर नागालैंड रेवोलुशनरी फ़ोर्स यानी MNRF और PLA के आतंकवादी मारे गए, हलाकि कई भाग निकलने में भी कामयाब रहे।

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इस कार्रवाई में एनएससीएन खपलांग गुट के दो अलग-अलग शिविर पूरी तरह बर्बाद कर दिए गए। इसी गुट ने 4 जून को सेना पर हमले की ज़िम्मेदारी ली थी।