यह ख़बर 14 नवंबर, 2014 को प्रकाशित हुई थी

कार्बन उत्सर्जन नियंत्रण पर किसी दबाव में फैसला नहीं लेगा भारत : प्रकाश जावड़ेकर

फाइल फोटो

नई दिल्ली:

पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने साफ कर दिया है कि जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर अमेरिका और चीन की घोषणा के बावजूद भारत कार्बन उत्सर्जन नियंत्रण (इमीशन कट) पर अपना रोडमैप बताने में जल्दबाज़ी नहीं करेगा। जावड़ेकर ने कहा है कि इमीशन कट पर अमेरिका की घोषणा पहला कदम ज़रूर है, लेकिन वह उतनी महत्वाकांक्षी नहीं है, जितनी लोगों ने उम्मीद की थी।

दो दिन पहले ही अमेरिका और चीन ने इमीशन कट के मामले में घोषणा की है। जहां अमेरिका ने कहा है कि 2025 तक वो 24 से 26 फीसद ईमीशन कम करेगा। वहीं चीन ने वादा किया है कि 2030 तक उसके इमीशन उच्चतम स्तर पर पहुंच जाएंगे।

किसी भी देश में औद्योगिकीकरण के साथ-साथ इमीशन बढ़ता जाता है। दुनिया के देशों में एक आम राय है कि विकसित देश अपना इमीशन धीरे-धीरे कम करेंगे और विकासशील देश बताएंगे कि उनके इमीशन कब तक बढ़ेंगे। इस लिहाज़ से भारत, ब्राज़ील, चीन और दक्षिण अफ्रीका समेत उन सारे देशों के गैस इमीशन आने वाले सालों में बढ़ते रहेंगे, क्योंकि इन देशों को औद्योगिक तरक्की करनी है।

चीन ने कहा है कि 2030 तक उसके इमीशन उच्चतम स्तर पर पहुंच जाएंगे यानी उसके बाद चीन भी अपना प्रदूषण कम करेगा। भारत का कहना है कि उसे अभी औद्योगिक क्षेत्र में काफी तरक्की करनी है इसलिए वो इमीशन का अपना रोड मैप बना रहा है।

विकसित और विकासशील देशों में एक झगड़ा ईमीशन कट के तुलनात्मक साल को लेकर होता रहा है। विकासशील देश जहां 1990 के प्रदूषण स्तर को आधार मामने के लिए कहते हैं वहीं विकसित देश 2005 तक किए गए प्रदूषण को आधार मानने पर अड़े हैं। गौरतलब है कि 2005 तक सारे विकसित देशों का प्रदूषण उच्चतम सीमा तक पहुंच गया था।

अगले साल मार्च तक सभी देशों को इमीशन कट (उत्सर्जन कम करने) या पीक इमीशन ईयर (इमीशन की उच्चतम सीमा का वर्ष) के बारे में बताना है। उसके बाद इसी आधार पर अगले साल के अंत में पेरिस में तमाम देशों के बीच जलवायु परिवर्तन के लिए उठाए जा रहे कदमों पर चर्चा होगी।

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इमीशन कट की अमेरिका की घोषणा से विकासशील देश बहुत खुश नहीं है क्योंकि 1990 को आधार मानें तो अमेरिका का ईमीशन कट केवल 14 प्रतिशत बनता है। जबकि पांच साल पहले जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र के साइंस पैनल ने विकसित देशों से कहा था कि वो 1990 के स्तर को आधार मानते हुए 2020 तक 25 से 40 फीसद प्रदूषण कम करें।