भारतीय सेना के मुख्य युद्धक टैंकों पर नहीं होगा जान बचाने वाला एक्टिव प्रोटेक्शन सिस्टम

भारतीय सेना के मुख्य युद्धक टैंकों पर नहीं होगा जान बचाने वाला एक्टिव प्रोटेक्शन सिस्टम

भारत ने 464 टी-90एमएस 'तागिल' युद्धक टैंकों का ऑर्डर दिया है

नई दिल्ली:

चेन्नई के अवादी में बनाए जाने वाले भारत के भावी मुख्य युद्धक टैंक टी-90एमएस 'तागिल' में नई पीढ़ी के एक्टिव प्रोटेक्शन सिस्टम फिट नहीं होंगे, जिनकी मदद से टैंक पर हमला करने वाले गोलों और मिसाइलों को वार करने से पहले ही नष्ट किया जा सकता है. इस तरह के एक्टिव प्रोटेक्शन सिस्टमों की मदद से गाज़ा में इस्राइली ऑपरेशनों के दौरान टैंकों में तैनात दर्जनों फौजियों की जानें बचाई जा सकी हैं, और अब इन्हें रूसी सेना सीरिया में जारी अपने ऑपरेशनों में इस्तेमाल कर रही है.

दशकों से, टैंक अपने भीतर तैनात फौजियों को दुश्मन के गोलों और एन्टी-टैंक मिसाइलों से बचाने के लिए आर्मर (कवच या बख्तर) पर ही निर्भर रहे हैं, लेकिन इराक तथा सीरिया में जारी संघर्षों में अत्याधुनिक एन्टी-टैंक गाइडेड मिसाइलों के खिलाफ आधुनिक टैंकों की सामने आई कमज़ोरी ने सिर्फ आर्मर के भरोसे उसमें तैनात फौजियों की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं.

एक्टिव प्रोटेक्शन सिस्टम का काम इसी खतरे को खत्म कर देना होता है. टैंकों पर लगे राडार दुश्मन की ओर से दागी गई मिसाइल या गोलों का पता लगा लेते हैं, उनके आने के रास्ते की पहचान कर गाइडेड हथियार दाग देते हैं, ताकि दुश्मन का वार टैंक से 50 मीटर की दूरी तक ही नष्ट किया जा सके, या उसका रास्ता बदला जा सके. इस तरह के विस्फोट से दुश्मन की ओर से दागी गई मिसाइल, रॉकेट-प्रोपेल्ड ग्रेनेड या गोले का टैंक के कवच को भेदने से पहले ही नष्ट होना सुनिश्चित हो जाता है.
 

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'एरीना' एक्टिव प्रोटेक्शन सिस्टम के साथ टी-90 टैंक

NDTV को जानकारी मिली है कि भारतीय सेना के नए टी-90एमएस टैंकों के लिए रूसी एक्टिव प्रोटेक्शन सिस्टम 'एरीना' तथा इस्राइली 'ट्रॉफी' सिस्टम खरीदने पर विचार किया जा रहा था, क्योंकि इन दोनों सिस्टमों की छवि काफी शानदार रही है. लेकिन फील्ड ट्रायल से पहले होने वाले टेक्निकल इवैल्यूएशन (तकनीकी परीक्षण) दौर में 'एरीना' को होड़ से बाहर निकाल लिया गया, क्योंकि वह भारतीय सेना द्वारा बताई गई तकनीकी ज़रूरतों को पूरा नहीं करता.

खैर, 'एरीना' के होड़ से हट जाने के बाद सिर्फ इस्राइली 'ट्रॉफी' सिस्टम ही होड़ में रह गया, जिससे सिंगल-वेंडर स्थिति पैदा हो गई. बड़े रक्षा सौदों में भारत सरकार ऐसी स्थिति से बचने की कोशिश करती है, क्योंकि ऐसे हालात में वह चुने गए उपलब्ध विकल्पों में से सबसे सस्ते का चुनाव नहीं कर पाती. इसी वजह से इस साल अक्टूबर में डिफेंस एक्विज़िशन कमेटी ने सभी एक्टिव प्रोटेक्शन सिस्टम के आयात को रद्द कर दिया. इस सिस्टम के लिए प्रति टैंक लगभग दो करोड़ रुपये का खर्च आने की संभावना थी. अब, सरकार ने आदेश दिया है कि इस बात अध्ययन किया जाए कि क्या यह सिस्टम केंद्र सरकार के प्रमुख कार्यक्रम 'मेक इन इंडिया' के तहत देश में ही विकसित किया जा सकता है, जिसमें किसी विदेशी कंपनी के साथ संयुक्त उपक्रम स्थापित किया जा सकता है.
 
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इस्राइली सेना के मेरकावा 4 टैंक पर लगा इस्राइली 'ट्रॉफी' एक्टिव प्रोटेक्शन सिस्टम

भारतीय सेना के लिए यह चिंता का विषय है कि उसके टैंकों की खातिर एक्टिव डिफेंस सिस्टम खरीदे जाने में विलंब हो रहा है. सीरिया और इराक में जारी संघर्ष के यूट्यूब पर विद्रोही लड़ाकों द्वारा अपलोड किए गए वीडियो में साफ दिखाई देता है कि विद्रोही लड़ाकों को सप्लाई की गई रूसी या अमेरिकी एन्टी-टैंक गाइडेड मिसाइलों से आधुनिक अमेरिका-निर्मित एम1 ए1 'अबराम्स' तथा जर्मन डिज़ाइन वाले लेपर्ड 2ए4 टैंक नष्ट हो रहे हैं. सीरिया में जारी संघर्ष पर लगातार नज़र रख रही वेबसाइट 'वॉर इज़ बोरिंग' के अनुसार, "विद्रोहियों द्वारा कम से कम 1,800 टी-55, टी-62 और टी-72 टैंक तथा बीएमपी लड़ाकू वाहन नष्ट किए गए हैं - जिनमें तैनात संभवतः हज़ारों फौजी भी मारे गए, घायल हुए, या कैद कर लिए गए..."

नवंबर में सरकार ने 464 बिल्कुल नए टी-90एमएस 'तागिल' टैंकों को खरीदने के लिए 13,448 करोड़ रुपये के सौदे को मंज़ूरी दे दी है. भारत के पास 800 से ज़्यादा टी-90एमएस टैंक पहले से मौजूद हैं, जो वर्ष 2001 में रूस से भेजे गए थे. ये पुराने टैंक अब ऑर्डर किए गए टी-90एमएस टैंकों की तुलना में काफी कम सक्षम हैं. सभी टी-90 ही भारतीय सेना की व्यूहरचना की रीढ़ हैं, पाकिस्तान से युद्ध की स्थिति में पंजाब और राजस्थान से होने वाले किसी भी हमले में सबसे अहम भूमिका इन्हीं की होगी. इस वक्त, भारतीय सेना की सेवा में मौजूद किसी भी टैंक में एक्टिव प्रोटेक्शन सिस्टम नहीं है.

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