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नई दिल्ली/श्रीहरिकोटा:
भारत के लिए आज दोहरी खुशी का मौका है। एक तो देश के सबसे बड़े रॉकेट का लॉन्च कामयाब रहा है और दूसरी अच्छी खबर यह है कि भारत भी अंतरिक्ष में इंसान भेजने की काबिलियत हासिल करने में कामयाब रहा है, यानी साफतौर पर आज भारत के लिए बहुत बड़ा दिन है।
भारत के सबसे बड़े रॉकेट जीएसएलवी मार्क-3 का श्रीहरिकोटा से सफल लॉन्च हुआ। इस कामयाबी के साथ ही भारत उन देशों की सूची में शामिल हो गया, जो अंतरिक्ष में बड़े सेटेलाइट भेज सकते हैं। इस लॉन्च से दूसरी बड़ी सफलता जो भारत को मिली वो ये है कि अब भारत भी अंतरिक्ष में इंसान भेज सकेगा, हालांकि इसमें अभी और वक़्त लगेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को जीएसएलवी-मार्क3 के सफल परीक्षण पर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) के वैज्ञानिकों को बधाई दी। मोदी ने अपने संदेश में कहा, जीएसएलवी का सफल परीक्षण हमारे वैज्ञानिकों के परिश्रम और प्रतिभा का एक और उदाहरण है। आप सभी के प्रयासों के लिए बधाइयां।
अंतरिक्ष में इंसान को भेजने की काबिलियत फिलहाल सिर्फ रूस, अमेरिका और चीन के पास है। सुबह 9.30 बजे सतीश धवन स्पेस सेंटर से जीएसएलवी मार्क-3 रॉकेट को लॉन्च किया गया। करीबन 20 मिनट बाद लॉन्च के सफल होने का ऐलान किया गया। भारत के अंतरिक्ष यान ने करीब 125 किलोमीटर की ऊंचाई तय की, फिर पैराशूट के सहारे धरती पर लौटा। अंडमान निकोबार द्वीप समूह के पास बंगाल की खाड़ी में अंतरिक्ष यान ने लैंड किया, जहां मौजूद कोस्ट गार्ड के जहाज़ ने अतंरिक्ष यान को बाहर निकाला।
इसरो के एक अधिकारी ने बताया कि इस क्रू मॉड्यूल का आकार एक छोटे से शयनकक्ष के बराबर है, जिसमें दो से तीन व्यक्ति आ सकते हैं।
जीएसएलवी-मार्क3 के सफल परीक्षण के बाद यहां मिशन के नियंत्रण कक्ष में इसरो के वैज्ञानिकों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। इसरो के अध्यक्ष के. राधाकृष्णन ने बताया, भारत ने इस रॉकेट का निर्माण एक दशक पहले ही शुरू कर दिया था और आज प्रयोग के तौर पर इसका पहला परीक्षण किया गया। ठोस और तरल इंजनों का प्रदर्शन उम्मीद के मुताबिक ही रहा। मानवरहित क्रू मॉड्यूल बंगाल की खाड़ी में गिरा, जैसी कि उम्मीद थी।
वहीं, जीएसएलवी-मार्क3 के परियोजना निदेशक एस. सोमनाथ ने कहा, भारत के पास अब एक नया प्रक्षेपण यान है। भरतीय रॉकेट की वहन क्षमता में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है।
मंगल अभियान की कामयाबी के बाद अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में भारत की यह दूसरी बड़ी सफलता है। जीएसएलवी मार्क 3 (जिओ सिंक्रोनस लॉन्च व्हीकल) की ये पहली टेस्ट फ्लाइट थी। इस रॉकेट का वजन 630 टन है। इसकी ऊंचाई करीब 42 मीटर है और यह 4 टन का वजन ले जा सकता है। जीएसएलवी मार्क-3 को बनाने में 160 करोड़ रुपये की लागत आई है।
(इनपुट्स एजेंसी से भी)