ILBS ने रचा इतिहास, डब्ल्यूएचओ का बना साझेदार

नई दिल्ली:

दिल्ली के इंस्टीटयूट ऑफ लिवर एंड बिलेरी साइंसेज यानी आईएलबीएस ने 5 साल के सफर में इतिहास रच दिया है। यह विश्व में अकेला संस्थान बन गया है, जिसे लिवर के इलाज के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपना साझेदार चुना है। इसके अलावा वायरल हैपेटाइटिस के लिए विश्व का दूसरा अस्पताल है।
 
मंगलवार को एक कार्यक्रम में इसकी औपचारिक घोषणा की गई। इस मौके पर आईएलबीएस के डायरेक्टर डॉ एसके सरीन ने कहा कि ये देश और संस्थान के लिए बड़े गौरव की बात है। अपने पांच साल के सफर में अस्पताल 210 लिवर ट्रांसप्लांट कर  चुका है और अब इस अभियान में डब्ल्यूएचओ भी जुड गया है तो जाहिर है इस अभियान में और तेजी आएगी।

समारोह में डब्ल्यूएचओ की तरफ से डॉ नाता मेंनांबडे ने अस्पताल की तारीफ करते हुए कहा कि इस अस्पताल ने जिस तरह से काम किया है उसी कारण डब्ल्यूएचओ ने इसे अपना साझेदार बनाने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि इस अस्पताल का हमने एक साल तक अध्ययन किया और फिर हमने पाया कि ये एक बेहतर अस्पताल है, जो भारत में अपना बड़ योगदान दे रहा है। इसके बाद ही अमेरिका के बाद हमने विश्व में इसे अपना साझेदार बनाया है। हमारी इस संस्थान से बड़ी अपेक्षाएं हैं और उम्मीद है कि ये लोगों के इलाज में अपना बड़ा योगदान देगा। यही कारण है कि मैं आगे भी इस संस्थान में आती रहूंगी। ये पांच साल का छोटा बच्चा है, जिसे डब्ल्यूएचओ अपना समर्थन दे रहा है।

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इस दौरान दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने भी अस्पताल की तारीफ करते हुए कहा कि आईएलबीएस ने दिल्ली ही नहीं, बल्कि देश का नाम ऊंचा किया है। इतने कम वक्त में संस्थान ने बड़ा मुकाम हासिल किया है। आज देशभर से लोग अपने इलाज के लिए आ रहे हैं, लेकिन अभी इस अस्पताल को बहुत कुछ करना है। सरकार दिल्ली में कई सेंटर बनाना चाहती है और इस अस्पताल को जगह और इंतजाम करने के लिए वह तैयार हैं।