अंतरराष्ट्रीय योग दिवस कार्यक्रम हर किसी के लिए अनिवार्य नहीं : मोदी सरकार

नई दिल्ली:

स्कूलों में योग की अनिवार्य कक्षा के खिलाफ ऑल इंडिया मुस्लिम पसर्नल लॉ बोर्ड सहित कुछ अल्पसंख्यक संगठनों के विरोध के बीच सरकार ने सोमवार को कहा कि अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने के लिए 21 जून के कार्यक्रमों में भागीदारी ‘अनिवार्य’ नहीं है।

हालांकि, योग दिवस कार्यक्रमों का समन्वय कर रहे आयुष राज्य मंत्री श्रीपद येसो नाइक ने कहा, ‘‘यह योग है और इसका धर्म से कोई लेना देना नहीं है।’’ राजपथ पर होने वाले इस विशाल कार्यक्रम की तैयारियों की समीक्षा के बाद संवाददाताओं से नाइक ने कहा, ‘‘कार्यक्रम अनिर्वाय नहीं है और इसका धर्म से कोई लेना देना नहीं है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमने कुछ भी अनिवार्य नहीं किया है। यह योग है और इसका धर्म से कोई लेना देना नहीं है। हम सभी लोगों से अनुरोध करते हैं कि हमारी प्राचीन धरोहर को दुनिया को दिखाने के लिए यह देश में हर किसी के पास एक अवसर है। इस कोशिश का किसी पार्टी से कोई लेना-देना नहीं है। यह हमें देश का गौरव लाने में मदद करेगा।’’

आयुष राज्य मंत्री ने कहा कि जो विरोध करना चाहते हैं कर सकते हैं, क्या किया जा सकता है? नाइक ने कहा, ‘‘मैं नहीं समझ पा रहा कि वे विरोध क्यों कर रहे हैं। जब संयुक्त राष्ट्र में प्रस्ताव पारित किया गया था, तब 177 देश इसके पक्ष में थे, जिनमें से 37 मुस्लिम देश हैं।’’

उन्होंने कहा कि योग किसी धर्म की बात नहीं करता। यदि किसी को इसका कुछ हिस्सा नहीं करना है तो उसे ना करें। यदि आप योगाभ्यास के दौरान 'ओम' नहीं कहना चाहते हैं तो इसे नहीं कहें। कम से कम कोई भी योग तो कर ही सकता है।

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दरअसल, उनसे सूर्य नमस्कार और स्कूलों में योग को अनिवार्य बनाए जाने के कदम के खिलाफ एआईएमपीएलबी के राष्ट्रव्यापी अभियान के बारे में पूछा गया था। नाइक ने यह भी कहा कि राजपथ के कार्यक्रम में करीब 35,000 लोगों के शरीक होने की उम्मीद है।