यह ख़बर 09 फ़रवरी, 2014 को प्रकाशित हुई थी

इशरत मुठभेड़ : सीबीआई को आईबी अधिकारियों पर मुकदमा चलाने से पहले लेने होगी इजाजत

नई दिल्ली:

देश के अटॉर्नी जनरल जीई वाहनवती ने सीबीआई से कहा है कि सीबीआई को इशरत जहां एनकाउंटर मामले में आईबी के पूर्व अधिकारियों पर मुकदमा चलाने से पहले केंद्र की इजाजत लेनी होगी।

गौरतलब है कि सीबीआई ने इशरत जहां फर्जी मुठभेड़ मामले में गुरुवार को दूसरा आरोप पत्र दायर करते हुए खुफिया ब्यूरो के पूर्व विशेष निदेशक राजेंद्र कुमार तथा तीन अधिकारियों के खिलाफ हत्या एवं साजिश के आरोप लगाए हैं। गुजरात के पूर्व मंत्री अमित शाह का नाम आरोप पत्र में नहीं था।

कानून मंत्रालय की ओर से अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाए जाने की अनुमति नहीं मिलने के बावजूद सीबीआई ने 1979 बैच के आईपीएस अधिकारी कुमार तथा पी मित्तल, एमके सिन्हा और राजीव वानखड़े के नाम आरोप पत्र में शामिल किए हैं। कुमार पिछले साल सेवानिवृत्त हुए थे।

इन लोगों को भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश), हत्या और अपहरण का आरोपी बनाया गया है।

कुमार के खिलाफ शस्त्र कानून के तहत अतिरिक्त आरोप लगाया गया है। सीबीआई ने आरोप लगाया है कि कुमार ने मुठभेड़ से एक दिन पहले 14 जून, 2004 को आरोपियों को हथियार मुहैया कराए थे।

सीबीआई ने पूरक आरोप पत्र में आरोप लगाया है कि कुमार ने गुजरात पुलिस के अधिकारी जी सिंघल को हथियार और गोला-बारूद सौंपे। सिंघल ने इन्हें निजामुद्दीन सईद के जरिये तरुण बारोट तक पहुंचाया। इन हथियारों और गोला-बारूद का इस्तेमान अपराध को अंजाम देने में किया गया।

इशरत मुठभेड़ के समय कुमार आईबी के संयुक्त निदेशक थे। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के निकट सहयोगी शाह का नाम आरोप पत्र में शामिल नहीं किया गया है, हालांकि उनके खिलाफ सिंघल ने आरोप लगाया था। सीबीआई के सूत्रों ने बताया कि मामले की अभी जांच चल रही है और उन्होंने यह भी कहा कि जांच एजेंसी कानून मंत्रालय की ओर से मुकदमा चलाने की मंजूरी के बिना आरोप पत्र दायर कर रही है।

जांच एजेंसी ने सेवानिवृत्त पुलिस उपाधीक्षक जेजी परमार के खिलाफ आईपीसी की धारा 193 के तहत अतिरिक्त आरोप लगाने का आग्रह किया था। परमार का नाम पहले ही आरोप पत्र में शामिल हो चुका है।

आईपीसी की धारा 193 किसी भी न्यायिक प्रक्रिया में जानबूझकर गलत सबूत देने अथवा न्यायिक प्रक्रिया में इस्तेमाल किए जाने के मकसद से फर्जी सबूत पैदा करने के मामले में सजा देने से जुड़ी हुई है।

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सीबीआई के वकील एजाज खान ने अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने कहा कि आईबी अधिकारियों ने इशरत तथा तीन अन्य लोगों को मारने की साजिश रची थी। इशरत के अलावा जावेद, शेख उर्फ परनेश पिल्लै, अमजद अली और जिशान जौहर मारे गए थे।