यह ख़बर 28 जनवरी, 2011 को प्रकाशित हुई थी

इशरत मुठभेड़ की सत्यता पर SIT अधिकारी को संदेह

खास बातें

  • सतीश वर्मा ने गुजरात उच्च न्यायालय के समक्ष हत्याओं की परिस्थितियों को लेकर संदेह पैदा किया और नई प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की।
अहमदाबाद:

इशरत जहां मुठभेड़ मामले में शुक्रवार को तब नया मोड़ आया जब एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी और विशेष जांच दल के सदस्य सतीश वर्मा ने गुजरात उच्च न्यायालय के समक्ष हत्याओं की परिस्थितियों को लेकर संदेह पैदा किया और नई प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की। एक अन्य घटनाक्रम में उच्च न्यायालय ने इस मामले में अधिवक्ता योगेश लखानी को न्याय मित्र नियुक्त किया। सुनवाई के दौरान वर्मा ने न्यायमूर्ति जयंत पटेल और न्यायमूर्ति अभिलाषा कुमारी की पीठ से कहा, इस मामले में दो संभावनाएं हो सकती हैं। एक तो ये चार लोग जो मुठभेड़ में मारे गए वे गुजरात के मुख्यमंत्री :नरेंद्र मोदी: की हत्या करने के लिए आए थे और दूसरी यह हो सकती है कि पुलिस ने उनकी बेहद नृशंस तरीके से हत्या कर दी। उन्होंने उच्च न्यायालय से कहा, पहले की बजाय दूसरे :के होने: की संभावना है। उन्होंने कहा कि इस मामले में नयी प्राथमिकी दर्ज की जानी चाहिए क्योंकि साक्ष्य जिन परिस्थितियों में :इशरत और अन्य पर: गोलियां दागी गईं उसको लेकर संदेह पैदा करते हैं। इशरत जहां और तीन अन्य को गुजरात पुलिस ने 15 जून 2004 को कथित तौर पर मुठभेड़ में मार गिराया था। अदालत ने इसके बाद मुठभेड़ की जांच के लिए तीन सदस्यीय एसआईटी का गठन किया था। एसआईटी की अध्यक्षता दिल्ली के आईपीएस अधिकारी करनैल सिंह कर रहे हैं। वर्मा के अतिरिक्त आईपीएस अधिकारी मोहन झा एसआईटी के अन्य सदस्य हैं। पिछली सुनवाई में वर्मा ने न्याय मित्र नियुक्त करने की एसआईटी प्रमुख के आवेदन पर आपत्ति जताई थी। वर्मा ने यह भी आरोप लगाया था कि सिंह ने उनसे सलाह-मशविरा नहीं किया और सदस्यों के बीच मतभेद हैं।


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