इशरत जहां मुठभेड़ मामले में वंजारा, पांडे को ज़मानत

वंजारा (बाएं) तथा पांडे के फाइल चित्र

अहमदाबाद:

अहमदाबाद की विशेष सीबीआई अदालत ने गुरुवार को एडिशनल डीजीपी रहे पीपी पांडे और गुजरात के एनकाउंटर स्पेशलिस्ट कहे जाने वाले पूर्व आईपीएस डीजी वंजारा को इशरत जहां मुठभेड़ मामले में ज़मानत दे दी।

हालांकि जहां पीपी पांडे को एक लाख रुपये के मुचलके पर ज़मानत मिली, वहीं वंजारा की ज़मानत में यह शर्त रखी गई है कि वह गुजरात नहीं आएंगे। वंजारा के वकील ने कहा कि उन्हें सोहराबुद्दीन मुठभेड़ मामले में भी इसी शर्त पर ज़मानत मिली है कि वह मुंबई नहीं छोड़ेंगे, सो, ऐसे में इस कोर्ट ने भी उसे देखते हुए उन्हें मुंबई से सिर्फ कामकाजी शनिवार को ही कोर्ट में हाजिरी देने के लिए अहमदाबाद आने को कहा है।

गुजरात में एक तरह से डीजी वंजारा ही फर्जी मुठभेड़ के मामलों का चेहरा रहे हैं। ज़्यादातर मामलों में साज़िश करने से लेकर अंजाम तक लाने के उन पर आरोप हैं। इशरत जहां के अलावा भी वह छह अन्य मुठभेड़ों से जुड़े मामलों में आरोपी हैं। वंजारा को अप्रैल, 2007 में पहली बार सोहराबुद्दीन मुठभेड़ मामले में आरोपी के तौर पर गिरफ्तार किया गया था, और फिर सोहराबुद्दीन की पत्नी कौसरबी और तुलसीराम प्रजापति की हत्या के मामले में भी उन्हें आरोपी बनाया गया।

इसके बाद जब हाईकोर्ट की बनाई हुई एसआईटी ने इशरत जहां और अन्य तीन मुठभेड़ों को फर्जी करार दिया, तब उस मामले में भी वंजारा को मुख्य साज़िशकर्ता के रूप में गिरफ्तार किया गया। यानि अप्रैल, 2007 के बाद से एक के बाद एक मामलों में वंजारा जेल में ही रहे हैं। सोहराबुद्दीन और तुलसी प्रजापति मामलों में उन्हें पहले ही मुंबई कोर्ट से ज़मानत मिल चुकी है, लेकिन अब इशरत जहां मामले में भी ज़मानत मिल जाने से वह लगभग आठ साल बाद जेल से रिहा होंगे।

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इशरत जहां एनकाउंटर के वक्त क्राइम ब्रांच के मुखिया पीपी पांडे थे और वंजारा क्राइम ब्रांच के डीसीपी। ज़मानत मिलने के बाद पांडे जहां जेल से बाहर आ चुके हैं, वहीं वंजारा की रिहाई में कुछ वक्त लग सकता है, क्योंकि उनकी रिहाई में मुंबई कोर्ट से कागज़ मंगवाकर कार्रवाई पूरी करनी होगी।