नई दिल्ली: इशरत जहां फ़र्जी मुठभेड़ मामले में गृह मंत्रालय ने आईबी के चार अफ़सरों को बड़ी राहत दी है। उसने सीबीआई को इनके ख़िलाफ़ मुकदमा चलाने की इजाज़त नहीं दी है।
2004 में इशरत जहां की फ़र्ज़ी मुठभेड़ के मामले में आईबी के पूर्व निदेशक राजेंद्र कुमार पर मुकदमा नहीं चलेगा। उनके अलावा तीन और अफ़सरों को इससे छूट दे दी गई है। हालांकि सीबीआई ने इन चारों के ख़िलाफ़ आरोपपत्र दायर कर रखा है।
एनडीटीवी इंडिया को मिली जानकारी के मुताबिक
- गृह मंत्रालय को मुकदमा चलाने का आधार नहीं मिला है
- मंत्रालय का मानना है कि सीबीआई के पास इनके ख़िलाफ़ पुख्ता सबूत नहीं हैं
- जो सबूत है वो हालात से उपजे सबूत हैं।
- इनमें भी कोई कड़ी नहीं जुड़ रही।
खुद गृहमंत्री ने लिया फैसला
ये मामला छह महीने पहले गृह मंत्रालय के पास आया था। मामले पर आख़िरी फ़ैसला ख़ुद गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने लिया है। इशरत के घरवाले कहते हैं, उन्हें अब भी इंसाफ़ का इंतज़ार है।
मां की इंसाफ की मांग
मुझे अपनी बेटी के लिए इंसाफ चाहिए। शमीमा कौसर, इशरत की मां का कहना है कि कांग्रेस ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण फ़ैसला बताया है।
कांग्रेस का बयान
कांग्रेस नेता आर एन सिंह का कहना है कि ये हैरानी की बात है कि जो लोग फ़र्ज़ी मुठभेड़ में शामिल थे, उन्हें क्लीनचिट दिया जा रहा है।
आईबी खुश, सीबीआई नाराज़
गृह मंत्रालय के इस फैसले के बाद आईबी के अफसर खुश हैं तो सीबीआई के नाराज़, लेकिन अहम बात यह है कि मंत्रालय अभी भी इस बात से टिप्पणी करने से बच रहा है कि इशरत के क्या लश्कर से सम्बन्ध थे या नहीं।