यह ख़बर 14 मार्च, 2013 को प्रकाशित हुई थी

नौसैनिक गतिरोध : इटली के साथ संबंधों की समीक्षा कर रहा है विदेश मंत्रालय

खास बातें

  • विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने गुरुवार को कहा कि हत्या के आरोप में भारत में मुकदमा का सामना करने के लिए दो आरोपी मरीनों को वापस भेजने से इटली के इनकार करने के बाद इटली के साथ हमारे समूचे संवाद की समीक्षा की जा रही है और सभी पहलुओं की सावधानी से जांच की
नई दिल्ली:

इतालवी मरीन को लेकर गतिरोध के बाद इटली के साथ अपने संबंधों की भारत समीक्षा कर रहा है।

विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने गुरुवार को कहा कि हत्या के आरोप में भारत में मुकदमा का सामना करने के लिए दो आरोपी मरीनों को वापस भेजने से इटली के इनकार करने के बाद इटली के साथ हमारे समूचे संवाद की समीक्षा की जा रही है और सभी पहलुओं की सावधानी से जांच की जा रही है।

प्रवक्ता ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘इटली के साथ समूची बातचीत की समीक्षा की जा रही है। हर पहलू का सावधानी से परीक्षण किया जा रहा है और उसके बाद उचित फैसला किया जाएगा।’’
सूत्रों ने कहा कि इटली में भारत के मनोनीत राजदूत बसंत कुमार गुप्ता फिलहाल इटली नहीं जा रहे हैं। पहले उन्हें शुक्रवार को रोम के लिए रवाना होना था।

सूत्रों ने बताया कि क्या इटली के राजदूत डैनियल मैंसिनी को निष्कासित कर दिया जाए और क्या गुप्ता को पद संभालना चाहिए इसका भी फैसला समीक्षा के बाद किया जाएगा।

मैंसिनी के भारत छोड़ने पर रोक लगाने वाले उच्चतम न्यायालय के आदेश के संबंध में पूछे जाने पर प्रवक्ता ने कहा कि राजदूत को नोटिस देकर उच्चतम न्यायालय ने वियना संधि के किसी भी पहलू का उल्लंघन नहीं किया है।

वियना संधि से विभिन्न देशों के कूटनीतिक संबंध नियंत्रित होते हैं। प्रवक्ता ने यह भी कहा कि इटली को समझौते को लागू करना चाहिए और उसका पालन करना चाहिए। उच्चतम न्यायालय ने इससे पहले दिन में दो मरीनों को वापस भेजने से इटली सरकार के इनकार करने पर आपत्ति जताते हुए बिना अनुमति के मैंसिनी के देश छोड़ने पर रोक लगा दी थी।

उसने मैंसिनी और दो मरीनों को भी नोटिस जारी किया और उनसे 18 मार्च तक जवाब देने को कहा और मामले की अगली सुनवाई की तारीख सोमवार को निर्धारित कर दी।

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दोनों मरीन पर पिछले साल फरवरी में केरल तट से दूर दो भारतीय मछुआरों की हत्या करने का आरोप है। शीर्ष अदालत ने दोनों मरीनों को चुनाव में मतदान के लिए गत 22 फरवरी को चार हफ्ते के लिए इटली जाने की अनुमति दी थी और उन्हें चार हफ्ते के भीतर वापस लौटने का निर्देश दिया था।