सपा का जनता परिवार में विलय डेथ वारंट जैसा होगा : रामगोपाल यादव

नई दिल्ली:

जनता परिवार की पार्टियों के विलय के औपचारिक ऐलान को अभी एक महीना भी नहीं बीता है कि इस पर संकट के बादल मंडराते दिख रहे हैं। सपा नेता राम गोपाल यादव ने कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव से पहले यह संभव नहीं है और ऐसा कोई भी कदम उनकी अपनी ही पार्टी के 'डेथ वारंट' पर हस्ताक्षर करने जैसा होगा।

सपा महासचिव यादव ने हालांकि कहा है कि यह तकनीकी कारणों से ही विलय कुछ दिन टल जाएगा। लेकिन उनकी इस टिप्पणी पर जेडीयू अध्यक्ष शरद यादव ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की और कहा कि विलय पहले ही हो चुका है।

सपा नेता ने कहा कि सबसे अच्छा होगा कि लालू प्रसाद यादव की अगुवाई वाली आरजेडी और नीतीश कुमार की जेडीयू इस साल होने वाला विधानसभा चुनाव सीटों की साझेदारी व्यवस्था के तहत लड़े, क्योंकि अगर उन्होंने अभी विलय किया तो वे अपना चुनाव चिह्न गंवा बैठेंगे और वोटरों में भ्रम की स्थिति पैदा हो जाएगी।

सपा नेता ने संवाददाताओं से कहा, 'विलय तकनीकियों की वजह से बिहार विधानसभा चुनाव से पहले संभव नहीं है। अगर हम हड़बड़ी में विलय करते हैं, तो यह मेरी अपनी पार्टी के डेथ वारंट पर हस्ताक्षर करने जैसा होगा।'

सपा नेता राम गोपाल यादव का बयान विलय को लेकर मुलायम सिंह यादव की अगुवाई वाली पार्टी में असंतोष का साफ संकेत है, क्योंकि कई सपा नेता मानते हैं कि उत्तर प्रदेश में अपना जनाधार रखने वाली सपा को इस विलय से कोई फायदा नहीं होने वाला है क्योंकि इसका लक्ष्य बिहार के दोनों दलों जेडीयू और आरजेडी के जनाधार को इस साल बाद में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले एकजुट करना है। जनता परिवार से जुड़ी रहीं पार्टियों के विलय की पिछले महीने घोषणा हुई थी और यह भी घोषणा की गई थी कि मुलायम नए दल की अगुवाई करेंगे।

बताया जाता है कि राम गोपाल यादव जनता दल के जुड़े रहे इन दलों के विलय के खिलाफ अपनी पार्टी में मुखर रहे हैं। जनता दल ने 80 के दशक के आखिर और 90 के दशक के उत्तरार्ध में केंद्र में शासन किया था।

ऐसी चर्चा है कि जेडीयू अध्यक्ष शरद यादव राज्यसभा में नई पार्टी के नेता के रूप में उनकी (रामगोपाल यादव की) जगह लेंगे। रामगोपाल यादव की टिप्पणियों पर शरद यादव की तीखी प्रतिक्रिया आयी है। इस विलय के उत्साही प्रस्तावक शरद यादव ने कहा कि मुलायम नए दल की भावी दिशा के बारे में घोषणाएं करने के लिए अधिकृत हैं और 15 अप्रैल को एक बैठक में इन छह दलों के विलय के बाद नयी पार्टी तो पहले ही बन चुकी है।

शरद यादव ने कहा, 'हमारा पहले ही विलय हो चुका है। कृपया, मुलायम सिंह जी से पूछिए, क्योंकि उन्हें नई पार्टी का प्रमुख बनाया गया है और वही बयान देने के लिए एकमात्र अधिकृत व्यक्ति हैं।'

विलय के विरुद्ध सपा में कड़े विरोध के अलावा, आरजेडी और जेडीयू में भी बिहार विधानसभा चुनाव में सीटों की साझेदारी में देरी को लेकर असंतोष उभर रहे हैं और लालू एवं नीतीश कुमार इन मुद्दों को सुलझाने के लिए पिछले हफ्ते तीन दिनों तक यहां डेरा डाले रहे।

लालू और नीतीश ने आपस में सीधी बातचीत भी की और दोनों मुलायम सिंह यादव से मिले। नीतीश ने यहां तक कहा कि सब कुछ ठीकठाक चल रहा है।

कई सपा नेता मानते हैं कि उनकी पार्टी को इस विलय से कोई फायदा नहीं होगा, क्योंकि जेडीयू और आरजेडी का उत्तर प्रदेश में कोई आधार नहीं है, उल्टे इस विलय से सपा को नुकसान ही होगा क्योंकि वह अपना चुनाव चिह्न एवं पहचान गंवा बैठेगी जो सालों की मेहनत के बाद उत्तर प्रदेश की जनता के बीच बनायी गई है।

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पंद्रह अप्रैल को मुलायम, शरद, नीतीश, लालू और पूर्व प्रधानमंत्री एवं जदएस नेता एच डी देवेगौड़ा समेत जनता परिवार के सभी शीर्ष नेताओं के संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में इस विलय की घोषणा की गई थी। नई पार्टी के नाम, चुनाव चिह्न, झंडा और अन्य ब्योरे का काम छह सदस्यीय एक समिति पर डाला गया था जिसमें गौड़ा, लालू, इनेलो के ओम प्रकाश चौटाला, सपा के रामगोपाल यादव और समाजवादी जनता पार्टी के कमल मोरारका शामिल हैं।