व्‍यापमं घोटाले का कानपुर कनेक्‍शन

नई दिल्‍ली:

Times of India की रिपोर्ट के मुताबिक मध्य प्रदेश के एसटीएफ़ सूत्रों ने बताया है कि 125 संदिग्ध लोग जिन्होंने सॉल्वर के तौर पर काम किया उनमें से 50 कानपुर के हैं। इनमें से ज़्यादातर गणेश शंकर विद्यार्थी मेडिकल कॉलेज के मौजूदा और पूर्व छात्र हैं। कानपुर का ये कनेक्शन जुलाई 2011 में पता चला।

मध्य प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश से जुड़े घोटालों की जांच की मांग के बाद 2009 में MPPEB ने प्रवेश में घोटाले की जांच के लिए एक कमेटी बनाई गई थी। पीएमटी में MPPEB ने 145 संदिग्धों पर निगाह रखी। ज़्यादातर इम्तिहान में नहीं आए लेकिन आठ को दूसरों की जगह इम्तिहान देने के आरोप में गिरफ़्तार कर लिया गया। इनमें से एक कानपुर का सत्येंद्र वर्मा था जिसने इंदौर में आशीष यादव की जगह इम्तिहान देने के लिए चार लाख रुपये लिए थे।

मध्य प्रदेश की स्पेशल टास्क फोर्स के मुताबिक तफ़्तीश के बाद पता चला कि दलाल और घोटालेबाज़ कानपुर में गणेश शंकर विद्यार्थी मेडिकल कॉलेज और लखनऊ में किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के प्रतिभाशाली छात्रों पर निगाह रखते थे और उनके साथ डील किया करते थे। कानपुर के कई कोचिंग सेंटरों पर भी इस तफ़्तीश के दौरान निगाह रखी गई और वहां के कुछ लोगों को पकड़ा गया। कानपुर में हुई जांच के तार सैफ़ई तक भी गए। जांच में पता चला कि कई नकली छात्रों ने MPPEB का इम्तिहान दिया। ये पाया गया कि सात उम्मीदवारों ने अपने एप्लिकेशन फॉर्म में एक ही ई-मेल आईडी hasmatali111@gmail.com. रखा था। ये आईटी हसमत अली की बताई जाती है जो यूपी रूरल इंस्‍टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस एंड रिसर्च, सैफई का एक मेडिकल का छात्र था।

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30 साल के हसमत अली ने पीएमटी 2013 में 200 में से 155 अंक हासिल किए थे। इसी ईमेल आईडी का इस्तेमाल करने वाले बाकी छह छात्रों ने भी ऊंचे अंक हासिल किए थे। ये थे आलोक कुमार नाथ, आशुतोष कुमार, मोहम्मद कलीम, मनीष यादव, जितेंद्र सिंह, संजय नेगी और चांद बाबू। सैफ़ई के कई सीनियर मेडिकल छात्र दूसरे छात्रों की जगह प्रवेश परीक्षा देने के काम में लगे रहते थे।