तस्वीर सौजन्य : kapilmishra@facebook
नई दिल्ली: दिल्ली को छह महीने के अंदर अपना तीसरा कानून मंत्री मिल गया है। जून में कानून मंत्री के पद पर नियुक्त किए गए कपिल मिश्रा को हटाकर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को मंत्रालय का कारभार सौंप दिया है। सूत्रों का कहना है कि केजरीवाल ने मिश्रा को पर्यटन और जल मंत्रालय पर ध्यान देने के लिए कहा है।
लेकिन कपिल मिश्रा की 28 अगस्त को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को लिखी चिट्ठी से जाहिर है कि सरकार में सबकुछ ठीक नहीं है। कहा जा रहा है कि मिश्रा को पहले से ही यह अंदाजा लग गया था कि उनसे यह मंत्रालय लिया जा सकता है।
सूत्र बता रहे हैं कि कपिल मिश्रा ने अपनी चिट्ठी में साफ लिखा है कि शीला दीक्षित के ऊपर एफआईआर की सिफारिश करने पर उनकी कुर्सी जा सकती है। उनके खिलाफ साजिश हो सकती है। जाहिर है कि यह कारण होता तो उनसे जलबोर्ड का काम भी वापस लिया जाता। लेकिन माना जा रहा है कि कपिल मिश्रा ने जल बोर्ड के घोटाले का बहाना बनाकर टार्गेट किसी ओर को किया है।
सूत्रों की मानें तो अगर जल बोर्ड की वजह से हटाया जाता तो जल बोर्ड का डिपार्टमेंट लिया जाता। लेकिन क़ानून विभाग लिया गया। दर असल केजरीवाल के कई कानूनी सलाहकार कपिल के काम से खुश नहीं थे। बार-बार शिकायत कर रहे थे। अब कपिल को ये बात मालूम थी कि उसे क़ानून मंत्री के पद से हटाया जा रहा है। इसलिए उसने ये चिट्ठी लिखा। और उसमे ये कहा कि इसके बाद उसे हटाये जाने की साज़िश हो सकती है।
गौरतलब है कि फरवरी में आम आदमी पार्टी के दूसरी बार सत्ता में आने के बाद कानून मंत्रालय काफी चर्चा में रहा है। कपिल मिश्रा से पहले कानून मंत्रालय देख रहे जितेंद्र तोमर को फर्जी डिग्री मामले में गिरफ्तार कर लिया गया था।
इसके बाद दिल्ली जल बॉर्ड के वाइस-चेयरमैन की कुर्सी पर बैठे मिश्रा को मंत्रालय की कमान थमा दी गई।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि जल बॉर्ड में मिश्रा का काम देखकर ही उन्हें केजरीवाल ने यह जिम्मेदारी सौंपी थी।
बता दें कि प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव को पार्टी से बाहर करने के अभियान में भी मिश्रा काफी आगे थे।
आप पार्टी की पहली पारी में कानून मंत्री रहे सोमनाथ भारती ने अपने क्षेत्र में ही एक नाइजीरियाई महिला के घर पर आधी रात को छापा मारा था जिसके बाद वह कड़ी आलोचना के घेरे में आए थे।