राजभवन की मरम्मत और विमान यात्राओं में करोड़ों का खर्च करने पर विवादों में कर्नाटक के राज्यपाल

राजभवन की मरम्मत और विमान यात्राओं में करोड़ों का खर्च करने पर विवादों में कर्नाटक के राज्यपाल

कर्नाटक के राज्यपाल वजूभाई वाला (फाइल फोटो)

बेंगलुरु:

कर्नाटक के राज्यपाल और गुजरात के पूर्व वित्तमंत्री वजूभाई वाला राजभवन की मरम्मत में चार करोड़ रुपये और नौ महीनों के भीतर विशेष उड़ानों सहित वायु यात्राओं पर 1.30 करोड़ रुपये का खर्चा होने के कारण विवादों में आ गए हैं।

राज्य के लोकनिर्माण विभाग द्वारा एक आरटीआई अर्जी के जवाब में बताया गया कि कर्नाटक की सरकार ने इस साल पांच जनवरी को तीन करोड़ रुपये की लागत से सात सिविल कार्य और एक करोड़ की लागत से बिजली कार्य कराने की मंजूरी दी थी।

यह मंजूरी राज्यपाल के सचिव द्वारा सरकार को 17 जून 2014 को भेजे गए एक पत्र के जवाब में दी गई। इस पत्र में राजभवन परिसर की इमारत की मरम्मत करवाने का अनुरोध किया गया था।

एक अन्य आरटीआई के जवाब में संबद्ध विभाग ने यह बताया कि सरकार ने राज्यपाल के एक सितंबर 2014 से पद संभालने के बाद 13 मई 2015 तक उनकी वायु यात्राओं पर 1.3 करोड़ रुपये खर्च किए हैं।

इसमें कहा गया कि बीजेपी और गुजरात विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष वाला ने कर्नाटक का राज्यपाल बनने के बाद से वडोदरा, सूरत और अहमदाबाद जैसी जगहों पर जाने के लिए विशेष उडानों एवं चार्टर्ड हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल किया।

इस शाहखर्ची को लेकर पैदा विवाद पर राजभवन की ओर से कोई फौरी प्रतिक्रिया नहीं आई है।

पीडब्ल्यूडी ने यह भी बताया कि सरकार ने राज्यपाल एवं एडीसी कार्यालयों तथा विशेष अधिकारियों (कार्मिक सचिव कार्यालय सह लाउंज) की मरम्मत पर क्रमश: 40 लाख और 30 लाख रुपये खर्च किए। विभाग ने अपने जवाब में कहा कि टेलीफोन एक्सचेंज के मरम्मत कार्यों और कंप्यूटर प्रभाग, फार्मेसी एवं प्रशासनिक खंड में सिविल कार्यों पर कुल 25 लाख रुपये की राशि खर्च की गई।

उसने कहा कि मुख्य इमारत के पीछे राहगीरों के चलने का मार्ग चौड़ा करने के लिए 50 लाख रुपये और खर्च किए गए।

पीडब्ल्यूडी ने बताया कि 17 एकड़ में बने राजभवन में राज्यपाल के आवास के साथ-साथ एक प्रशासनिक खंड, एक ग्लास हाउस और 61 स्टाफ क्वार्टर हैं। राजभवन के स्टाफ में 300 लोग शामिल हैं।

इस मामल में कांग्रेस ने कहा कि राज्यपालों की खर्च सीमा तय करने का समय आ गया है। कांग्रेस नेता पी एल पुनिया ने कहा, 'सीमा निर्धारित होनी चाहिए... उन्हें पूर्ण संरक्षण नहीं दिया जा सकता।'

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वहीं कर्नाटक के कानून मंत्री टीबी जयचंद्र ने इस विवाद में टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। इस विवाद के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, 'राज्यपाल राज्य के पिता की तरह होता है और एक संवैधानिक पद होता है। लिहाजा मैं कोई टिप्पणी नहीं कर सकता। लोगों को जानने दीजिये कौन कितना व्यय कर रहा है।' मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने भी टिप्पणी देने से इनकार करते हुए कहा कि इस बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है।