यह ख़बर 13 मई, 2011 को प्रकाशित हुई थी

केरल में यूडीएफ ने एलडीएफ से सत्ता छीनी

खास बातें

  • राज्य में तीन दशकों में सर्वाधिक कांटे की टक्कर वाले चुनाव में यूडीएफ सिर्फ दो सीटों से ही साधारण बहुमत हासिल करने में सफल हो पाया।
New Delhi:

कांग्रेस नीत संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) ने दो सीटों का साधारण बहुमत हासिल कर सत्तारूढ़ वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) से सत्ता छीन ली। राज्य में तीन दशकों में सर्वाधिक कांटे की टक्कर वाले चुनाव में यूडीएफ सिर्फ दो सीटों से ही साधारण बहुमत हासिल करने में सफल हो पाया। साधारण बहुमत के लिए जरूरी 71 के आंकड़े को पार कर यूडीएफ ने विधानसभा की 72 सीटें जीतीं और एलडीएफ के खाते में 68 सीटें गईं। माकपा के धुरंधर वीएस अच्युतानंदन के नेतृत्व में एलडीएफ 2009 के लोकसभा चुनाव के विपरीत विधानसभा चुनाव में सत्ता विरोधी लहर को काफी हद तक रोकने में सफल रहा। लोकसभा चुनाव में यूडीएफ वाम मोर्चे पर भारी पड़ गया था। एलडीएफ हालांकि चुनाव में पिछड़ गया, लेकिन माकपा 45 सीटें हासिल कर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है। कांग्रेस ने 82 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन वह 38 सीटें ही जीत पाईं। पिछले तीन दशकों से हर बार सत्ता बदल देने वाले इस राज्य के मतदाताओं ने इस बार भी इतिहास दोहराया, लेकिन यह किसी गठबंधन को मिला अब तक का सबसे क्षीण बहुमत है। 2006 में एलडीएफ ने 98 सीटों पर कब्जा जमाया था और यूडीएफ की झोली में मात्र 42 सीटें ही जा पाई थीं।


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