राहुल गांधी पर किरण मजूमदार शॉ का हमला, बोलीं, ओछी बयानबाजी कर रहे हैं

नई दिल्ली:

जानी-मानी उद्योगपति किरण मजूमदार शॉ ने कांग्रेस पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी पर सीधा हमला करते हुए कहा है कि ओछी बयानबाजी हो रही है, जिसकी जरूरत नहीं थी। उन्होंने राहुल गांधी की पीएम नरेंद्र मोदी पर सूट-बूट की सरकार वाली टिप्पणी को बचकानी राजनीति के तरीके करार दिया है।

हाल के दिनों में लंबी छुट्टी से लौटे राहुल गांधी ने तमाम मौकों पर मोदी सरकार पर कॉर्पोरेट जगत के लोगों के लिए काम करने का आरोप लगाया और कहा कि मजदूरों और किसानों का बिलकुल ख्याल नहीं रखा जा रहा है।

एनडीटीवी से खास बातचीत में शॉ ने कहा, जब देश में विकास की जरूरत है, इस तरह की बचकानी राजनीति हो रही है। मैं राहुल गांधी की किसी भी बात से सहमत नहीं हूं। हमें इस तरह के आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति में नहीं पड़ना है। मोदी सरकार पर हमला करने के लिए इस प्रकार की बयानबाजी नहीं होनी चाहिए।

शॉ ने कहा कि वह बहुत निराश हैं कि कांग्रेस ने जीएसटी और भूमि अधिग्रहण बिल पर अड़चनें लगाई हैं। उन्होंने इस कांग्रेस का पाखंड करार दिया है और कहा कि यह दलगत राजनीति का विकृत रूप है।

उन्होंने कहा कि मैं यह नहीं समझ पा रही कि जब कांग्रेस ने जीएसटी बिल को बड़े मन से सराहा तो फिर उसका इतना जोरदार विरोध क्यों किया?

शॉ ने कांग्रेस पार्टी पर विकास विरोधी रुख अपनाने का आरोप भी लगाया है। उन्होंने कहा कि एक देश के नाते राष्ट्रीयहित को सर्वोपरि रखना चाहिए और आज का राष्ट्रीयहित विकास की मांग कर रहा है। शॉ ने यहां तक आरोप लगाया कि उन्हें नहीं लगता कांग्रेस देश से गरीबी हटाने को लेकर केंद्रित है। कांग्रेस का मानना है कि गरीबी की राजनीति से ही उन्हें वोट मिलेंगे।  शॉ ने कहा कि मेरी राय में कांग्रेस को अपने इस रवैये पर दोबारा सोचने की जरूरत है।

उद्योगजगत का एक और जाना माना चेहरा, आदि गोदरेज भी कांग्रेस के बिलों को रोकने से निराश हैं, उनका भी कहा है कि विपक्ष ने राष्ट्रहित से ऊपर राजनीतिक लाभ को रखा है।

एनडीटीवी से बात कतरे हुए गोदरेज ने कहा, मैं खासतौर पर जीएसटी पर कांग्रेस के रवैये से निराश हूं, क्योंकि पहले वे इसके समर्थन में थे। यूपीए के कार्यकाल में वह जीएसटी को आगे बढ़ाना चाहते थे। उन्होंने कहा कि नितिन गडकरी के इस्तीफे को मुद्दा बनाकर, पिछले कुछ दिनों में जो राज्यसभा में कांग्रेस का पक्ष रहा है उसने ज्यादा निराश किया। देश के लिए जरूरी आर्थिक मुद्दे के दरकिनार करते हुए गडकरी का छोटा मुद्दा उठाया गया।

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बता दें कि इस साल की शुरुआत में शॉ ने मोदी सरकार पर धीमी गति से सुधारों को लागू करने का आरोप लगाया था। और कहा था कि कॉर्पोरेट जगत अधीर हुआ जा रहा है।