सबसे बड़ी 'टैक्स लीक' पनामा पेपर्स : जानें इससे जुड़ी कुछ अहम बातें

सबसे बड़ी 'टैक्स लीक' पनामा पेपर्स : जानें इससे जुड़ी कुछ अहम बातें

फाइल फोटो

इंटरनेशनल कन्सॉर्शियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स ने पनामा पेपर्स के नाम से ख़ुलासा किया है। पनामा की लॉ फर्म मोसेक फोंसेका ने  क़रीब 1 करोड़ 10 लाख दस्तावेज़ों का ख़ुलासा किया है। इसमें 100 मीडिया ग्रुप्स के पत्रकारों को दिखाए गए दस्तावेज़ हैं। 70 देशों के 370 रिपोर्टरों ने इनकी जांच की है। और यह जांच  क़रीब 8 महीने तक की गई है।

आखिर क्या है ICIJ?...

ICIJ यानी इंटरनेशनल कंसोर्शियम ऑफ़ इनवेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स दुनिया भर के 190 खोजी पत्रकारों का एक समूह है। इसमें 76 देशों के 109 मीडिया संस्थान शामिल हैं। 65 देशों के पत्रकार मिलकर किसी मामले की जांच करते हैं। 1997 में ICIJ की स्थापना हुई थी ताकि इस ग्लोबल दौर में पत्रकारिता किसी मुल्क की सीमा के भीतर सिमट कर न रह जाए। अपराध, भ्रष्टाचार अब एक देश की सीमा तक सीमित नहीं है। ICIJ में कई प्रकार के अनुभवी लोग काम करते हैं खासकर वे लोग जो सरकारी रिकार्ड को पढ़ने में दक्ष होते हैं। तथ्यों की जांच करने वाले और वकील भी होते हैं।

पनामा पेपर्स से ख़ुलासा...

- दुनिया के 72 मौजूदा या पूर्व राष्ट्र प्रमुखों ने फर्ज़ी कंपनी बनाकर पैसा रखा
- बशर अल असद, होस्नी मोबारक, मुआमार गद्दाफी ने पैसा छुपाया
- आइसलैंड के प्रधानमंत्री सिंगमुंदुर दावी गुणलुन और उनकी पत्नी का भी नाम
- दोनों पर पनामा की लॉ कंपनी के ज़रिये टैक्स हेवन में निवेश का आरोप

भारत के मामले में पनामा पेपर्स से ख़ुलासा...

- भारतीयों को 2013 के बाद विदेशों में कंपनी बनाने की इजाज़त मिली
- कई लोगों पर इन फ्रंट कंपनियों के ज़रिए पैसा बाहर भेजने का आरोप
- सुप्रीम कोर्ट की एसआईटी विदेशों में काले धन की जांच कर रही है
-  विदेशों में जमा धन का पता लगाने के लिए सरकार ने क़ानून बनाया

कई देशों में हड़कंप पनामा पेपर्स के खुलासे से हड़कंप...

- न्यूज़ीलैंड और ऑस्ट्रेलिया के टैक्स प्रशासन ने अपने नागरिकों की जांच शुरू की
- ऑस्ट्रेलिया ने कहा कि उसके यहां 800 अमीर नागरिकों की जांच शुरू हो गई
- फ्रांस के राष्ट्रपति ओलांद ने कहा कि खुलासे की जांच करेंगे
- स्वीडन के टैक्स प्रशासन ने जांच करने की बात कही
- स्वीडन के 400 से 500 नागरिकों के नामों का ख़ुलासा

पनामा पेपर्स का महत्व...

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पनामा पेपर्स पूरी दुनिया के सामने सवाल खड़े करता है कि ताकतवर नेताओं, देश के प्रमुखों और उद्योगपतियों स्टार के लिए टैक्स से बचना इतना आसान कैसे हो जाता है। कैसे तमाम जांच एजेंसिया इस हकीकत से आंखें मूंद लेती है। कभी आपने सुना है कि इतना बड़ा खुलासा तमाम सरकारों ने मिलकर किया हो। अक्सर पत्रकार ही अपनी ज़िंदगी दांव पर लगाकर क्यों करता है।