पैराग्लाइडर्स या गुब्बारे से हमला कर सकता है लश्कर, सुरक्षा एजेंसियां सतर्क

पैराग्लाइडर्स या गुब्बारे से हमला कर सकता है लश्कर, सुरक्षा एजेंसियां सतर्क

प्रतीकात्मक फोटो

नई दिल्ली:

लश्कर ए तैयबा पैराग्लाइडर्स के ज़रिए भारत पर हमला  कर सकता है। इस तरह के इनपुट्स भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को लगातार मिल रहे हैं। इसीलिए केंद्र सरकार पैराग्लाइडर्स और गरम हवा के गुब्बारे यानी हॉट एयर बैलून के उपयोग को लेकर कड़े कानून बना रही है।

गृह मंत्रालय के मुताबिक जो नियम बनाए जा रहे हैं उनके मुताबिक अगर कोई आधिकारिक तौर पर पैराग्लाइडर या फिर हॉट एयर बलून ऑपरेट भी करता है तो न उसमें कोई हथियार लेकर चढ़ सकता है और न ही किसी तरह की फोटोग्राफी या फिर वीडियो रिकॉर्डिंग कर सकता है।

यह भी तय किया गया है कि यह उपकरण अपनी तय की गई सीमा के बाहर नहीं जाएंगे क्योंकि इन पर नज़र रखना बहुत मुस्किल है। इन उपकरणों के लिए न तो सरकार ने कोई राडार लगाए हैं और न ही कोई उनके पास डायरेक्शन फाइंडर्स हैं। गृह मंत्रालय के एक सीनियर अफसर ने एनडीटी इंडिया को बताया 'यह कानून जल्द लागु कर रहे हैं ताकि कोई इस तरह का हमला न कर सके।' उनके मुताबिक इन सभी उपकारणों को लेकर सरकार में काफी चिंता है।

दरअसल रॉ के मुताबिक लश्कर ए तैयबा ने काफी उन्नत किसम के पैराग्लाइडर्स हासिल कर लिए हैं। उनके सिग्नल कोई राडार सर्च नहीं कर सकता। रॉ के मुताबिक उनके निशाने पर देश के मेट्रो हो सकते हैं। खास बात यह भी है कि त्योहारों  के समय इस तरह के इनपुट्स सुरक्षा बालों की धड़कन बढ़ा रहे हैं।

गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को भी आगाह कर दिया है कि वे अपने शहरों के सभी फ्लाइंग क्लब्स पर नज़र रखें।
मंत्रालय का मानना है कि अगर कभी इस तरह का हमला हुआ तो उसका रिएक्शन टाइम बहुत काम होगा, इसलिए कानून बनाया गया है। इसे जल्द लागु किया जाएगा। सभी वाइटल इमारतों पर सुरक्षा चौकस कर दी गई है।

अब सरकार के नियमों के तहत कोई भी उपकरण हवा में नहीं उड़ा सकता। अब न सिर्फ जिला मजिस्ट्रेट से मंजूरी लेनी होगी बल्कि हर एक ऐसी उड़न के लिए लॉग बुक भी रखनी होगी। नियम तोड़ने पर संबंधित दोषी को पेनाल्टी देनी होगी।

आम तौर  पर जब भी कोई विमान हवा में उड़ाया जाता है तब एटीसी से मंजूरी लेनी होती है, लेकिन ग्लाइडर्स के लिए कोई मंजूरी नहीं लेनी होती। इसलिए अगर कोई दुश्मन ग्लाइडर हो तो उस पर नज़र नहीं रखी जा सकती। अफसरों का कहना है कि कई बार ऐसे उपकरणों का इस्तेमाल आतंकवादी गतिविधियों के लिए विदेश में हुआ है। एक बार पुणे में भी इस तरह का एक उपकरण हवा में था जिसने कई विमानों को खतरे में डाल दिया था।

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डायरेक्टर जनरल आफ सिविल एविएशन से कहा गया कि वे इस बात का धयान रखें कि कोई भी किसी भी तरह का हथियार लेकर किसी भी ग्लाइडर में न चढ़े।