यह ख़बर 28 जुलाई, 2011 को प्रकाशित हुई थी

लोकपाल मसौदे को मंजूरी, अन्ना करेंगे अनशन

खास बातें

  • लोकपाल ड्राफ्ट को केंद्रीय कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है, जिसमें प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे से बाहर रखा गया है।
New Delhi:

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गुरुवार को लोकपाल विधेयक के मसौदे को मंजूरी दे दी। विधेयक के इस मसौदे में प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे से बाहर रखा गया है। विपक्षी पार्टियों ने तो इसकी आलोचना की ही, इससे बिफरे वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने 16 अगस्त से आमरण अनशन शुरू करने की चेतावनी दी। केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा मंजूर विधेयक के मसौदे के दायरे से प्रधानमंत्री और न्यायपालिका को बाहर रखा गया है। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी ने विधेयक के बारे में संवाददाताओं को बताया, कुल मिलाकर, सरकार का लक्ष्य सार्वजनिक जीवन में अत्यधिक जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित करना है। प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री वी नारायणसामी ने बताया कि विधेयक का मसौदा सोमवार से शुरू हो रहे संसद के मॉनसूत्र पेश में किया जाएगा। न्यायपालिका को इसके दायरे से बाहर, जबकि मंत्रियों एवं सांसदों को इसके दायरे में रखा गया है। उन्होंने कहा कि सदन में सांसदों की गतिविधियों को लोकपाल के दायरे में रखने के बारे में निर्णय पीठासीन अधिकारी लेंगे। नारायणसामी ने कहा कि विधेयक के दायरे से प्रधानमंत्री को बाहर रखा गया है। उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री ने स्वयं लोकपाल विधेयक के दायरे में अपने को रखे जाने की पेशकश की थी, लेकिन भला-बुरा सबकुछ विचारकर केंद्रीय मंत्रिमंडल ने उन्हें विधेयक के दायरे से बाहर रखने का फैसला किया। नारायणसामी ने कहा कि प्रधानमंत्री के एक बार कार्यालय छोड़ देने के बाद वह विधेयक के दायरे में आ सकते हैं। सोनी ने कहा कि सरकार रहस्योदघाटक संरक्षण विधेयक, मुख्य सतर्कता आयोग विधेयक और न्यायिक जवाबदेही विधेयक पर भी काम कर रही है। उन्होंने कहा कि लोकपाल के आठ सदस्य होंगे। इनमें से आधे सदस्य न्यायपालिक से होंगे। इस समिति का अध्यक्ष एक न्यायाधीश होगा। खुर्शीद ने कहा कि संयुक्त मसौदा समिति की बैठक के दौरान हुई चर्चा में सामाजिक संगठन के सदस्यों द्वारा दिए गए 40 सुझावों में से 34 को स्वीकार किया गया है। एक सख्त लोकपाल विधेयक के समर्थन में वरिष्ठ सामाजिक कार्यकता अन्ना हजारे द्वारा 16 अगस्त से आमरण अनशन पर जाने की चेतावनी के बारे में पूछने पर खुर्शीद ने कहा कि विधेयक के एक बार संसद में पेश हो जाने पर यह सदन की सम्पत्ति हो जाएगी। उन्होंने कहा, कोई भी जो इस प्रक्रिया को चुनौती देगा, वह सरकार को नहीं, बल्कि देश की संसद को चुनौती देगा। खुर्शीद ने कहा कि लोकपाल केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) अथवा राज्य सरकार से अधिकारियों की मांग कर सकता है और उसे जांच और अभियोग चलाने के लिए मंजूरी लेने की जरूरत नहीं होगी। खुर्शीद ने कहा कि एक पूर्व प्रधानमंत्री के खिलाफ शिकायत करने के लिए विधेयक में सात वर्षों की अवधि निर्धारित की गई है। विधेयक के मसौदे पर मुख्य विपक्षी पार्टी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सरकार पर हमले किए। कर्नाटक की अपनी सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोपों पर संकट में घिरी भाजपा ने कहा कि प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायर में लाया जाना चाहिए। पार्टी महासचिव व पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने संवाददाताओं से कहा, भाजपा लोकपाल विधेयक के मसौदे से प्रधानमंत्री पद का जिक्र पूरी तरह हटाए जाने की सराहना नहीं करती है। प्रधानमंत्री पद को लोकपाल के दायरे में लाया जाना चाहिए। वहीं, मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की नेता बृंदा करात ने भी प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में शामिल करने की बात कही। करात ने कहा, जो मुद्दे उठे हैं, उनमें से एक मुद्दा प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे से बाहर रखने का भी है। हम नहीं समझ पा रहे हैं कि ऐसा क्यों, क्योंकि वर्ष 1989 से पेश प्रत्येक प्रस्ताव में प्रधानमंत्री कार्यालय को लोकपाल विधेयक के दायरे में रखा गया था। केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा मंजूर विधेयक के मसौदे पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए अन्ना हजारे ने सरकार पर उन्हें और पूरे देश को धोखा देने का आरोप लगाया। अन्ना हजारे ने संवाददाताओं से कहा, हमने कहा कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को लोकपाल विधेयक के दायरे में लाया जाना चाहिए। हमने यह भी चर्चा की कि सभी राज्यों में लोकायुक्त होने चाहिए। यह तय किया गया कि मंत्रिमंडल में चर्चा के दौरान ये सभी बातें रखी जाएंगी, लेकिन आज हम पाते हैं कि इन बातों को हटा दिया गया है। उन्होंने कहा, यह धोखाधड़ी है, न सिर्फ अन्ना हजारे के साथ, बल्कि पूरे देश के साथ। अगर राज्यों में लोकायुक्त नहीं होंगे, तो भ्रष्टाचार कभी समाप्त नहीं होगा। इसलिए हम 16 अगस्त से जंतर मंतर पर अनशन करेंगे।...मैं अपनी आखिरी सांस तक अनशन करूंगा। वहीं, सामाजिक संगठन के प्रतिनिधि और सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा, यह देश के लोगों के साथ एक क्रूर मजाक है। यदि वे सोचते हैं कि उन्होंने लोगों को मूर्ख बनाया है, तो उन्होंने भारी गलती की है। अन्ना हजारे ने यह भी कहा कि विधेयक के जिस मसौदे को मंजूरी दी गई है उसके दायरे में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को नहीं रखा गया है। साथ ही प्रत्येक राज्य में एक लोकायुक्त की नियुक्ति के बारे में भी कुछ नहीं कहा गया है। विधेयक के मसौदे से नाराज किरण बेदी ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, विधेयक का सरकारी संस्करण एक जोकपाल है।


Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com