यह ख़बर 07 मई, 2012 को प्रकाशित हुई थी

बजट सत्र में लोकपाल विधेयक पारित होने की सम्भावना कम

खास बातें

  • भ्रष्टाचार निरोधक लोकपाल विधेयक के बजट सत्र में पारित होने की सम्भावना अब कम ही दिखाई पड़ती है। एक तरफ विपक्ष की नजर जहां राष्ट्रपति चुनाव की ओर है वहीं टीम अन्ना का आंदोलन अपनी धार खो चुका है।
नई दिल्ली:

भ्रष्टाचार निरोधक लोकपाल विधेयक के बजट सत्र में पारित होने की सम्भावना अब कम ही दिखाई पड़ती है। एक तरफ विपक्ष की नजर जहां राष्ट्रपति चुनाव की ओर है वहीं टीम अन्ना का आंदोलन अपनी धार खो चुका है।

विधेयक को पारित कराने के सम्बंध में नजदीक से जुड़े संसद के सूत्र ने कहा कि सरकार इस विधेयक को लेकर विवादों और मतभेदों को कम करना चाहती है लेकिन विपक्ष इसे पारित करने को लेकर जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं करना चाहता।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने पिछले साल शीतकालीन सत्र के दौरान विधेयक को पारित कराने के लिए और सरकार पर दबाव बनाने की खातिर टीम अन्ना के आंदोलन को समर्थन दिया था। लेकिन इस वर्ष बजट सत्र की शुरुआत में सांसदों पर टिप्पणी करने को लेकर पार्टी ने टीम अन्ना के सदस्यों की आलोचना की।    

सूत्र ने कहा कि लोकपाल संशोधित विधेयक फिलहाल राज्यसभा में है। यहां से पारित होने के बाद इसे फिर से लोकसभा से पारित कराना होगा जो कि बजट सत्र में सम्भव नजर नहीं आता।

आधिकारिक सूत्र ने कहा कि फिलहाल प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री वी. नारायणसामी अनौपचारिक तौर पर विभिन्न दलों के नेताओं से बातचीत कर रहे हैं कि विधेयक को किस तरह आगे बढ़ाया जाए।

राज्यसभा में शीतकालीन सत्र में विधेयक पर हुई बहस के दौरान सदस्यों ने 149 संशोधन प्रस्ताव पेश किए थे।

सूत्र ने कहा कि विभिन्न दलों के नेताओं से बातचीत की जा रही है और प्रमुख मुद्दों पर सहमति बनाने का प्रयास जारी है।   

अधिकारी ने कहा कि लोकपाल विधेयक 2011 में लोकायुक्त का प्रावधान किया गया है क्योंकि विभिन्न राज्यों में मौजूद लोकायुक्त कानून में समानता नहीं है।

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प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 23 मार्च इस मसले पर सहमति बनाने के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाई थी लेकिन अधिकतर नेताओं ने लोकपाल विधेयक से लोकायुक्त को अलग किए जाने के पक्ष में अपने विचार रखे थे।