यह ख़बर 22 दिसंबर, 2011 को प्रकाशित हुई थी

लोकपाल के दायरे में सीबीआई नहीं तो समर्थन नहीं : मायावती

खास बातें

  • बसपा अध्यक्ष मायावती ने कहा कि लोकपाल के दायरे में सीबीआई को शामिल न किए जाने की स्थिति में उनकी पार्टी विधेयक का समर्थन नहीं करेगी।
लखनऊ:

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने गुरुवार को कहा कि लोकपाल के दायरे में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को शामिल न किए जाने की स्थिति में उनकी पार्टी विधेयक का समर्थन नहीं करेगी। मायावती ने एक बयान जारी कर कहा, "ऐसा देखा गया है कि समय-समय पर केन्द्र की सरकारों द्वारा अपने राजनीतिक लाभ के लिए सीबीआई का दुरूपयोग किया गया। बसपा व उसकी सरकार इस प्रकार के दुरूपयोग का शिकार रही है। इस प्रकार के दुरूपयोग पर अंकुश लगाने के लिये ही उन्होंने सीबीआई को लोकपाल के दायरे में लाने की मांग की थी।" मायावती ने अफसोस जताते हुए कहा, "कांग्रेसनीत केंद्र सरकार ने उनकी इस मांग को नजरअंदाज कर दिया। अगर सीबीआई को लोकपाल के दायरे में शामिल नहीं किया जाता तो ऐसी दशा में बसपा प्रस्तुत विधेयक का समर्थन नहीं करेगी।" मायावती ने कहा कि संसद में प्रस्तुत किए गए लोकपाल विधेयक की प्रति बसपा सांसदों को नहीं उपलब्ध कराई गई है। समाचार पत्रों में लोकपाल विधेयक के सम्बन्ध में प्रकाशित खबरों का हवाला देते हुए मायावती ने कहा, "ऐसा लगता है कि सशक्त, प्रभावी और कारगर लोकपाल बिल के लिए उनके द्वारा पूर्व में दिये गये सुझ्झावों पर केंद्र सरकार ने ध्यान नहीं दिया और विधेयक में वांछित प्रावधान नहीं किए।" मायावती ने कहा कि उन्होंने पूर्व में लोकपाल विधेयक के अन्दर सभी महत्वपूर्ण निर्णय लेने वाले स्थानों पर समाज के खासतौर से अनुसूचित जाति/जनजाति व अन्य पिछड़े वर्गो के लोगों को भी उचित प्रतिनिधित्व देने की मांग की थी। प्रभावी लोकपाल विधेयक की आवश्यकता पर बल देते हुए मायावती ने कहा, "देश में फैले भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए, यह अत्यंत आवश्यक है। राजनीति में बढ़ रहे अपराधीकरण की मुख्य जड़ वास्तव में भ्रष्टाचार ही है।"


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