यह ख़बर 01 जून, 2011 को प्रकाशित हुई थी

लोकपाल पर राज्यों और दलों को केंद्र की चिट्ठी

खास बातें

  • क्या लोकपाल के दायरे में प्रधानमंत्री और जज होने चाहिए... केंद्र सरकार ने चिट्ठी लिखकर राज्य सरकारों और दलों से इस पर राय मांगी है।
नई दिल्ली:

क्या लोकपाल के दायरे में प्रधानमंत्री और जज होने चाहिए... केंद्र सरकार ने चिट्ठी लिखकर राज्य सरकारों और दलों से इस पर राय मांगी है। अण्णा हज़ारे की टीम की चिंताओं के जवाब में लोकपाल बिल पर वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने सभी मुख्यमंत्रियों और राजनीतिक पार्टियों को चिट्ठी लिखकर कुछ सवाल पूछे हैं। इससे यह बात साफ है कि सरकार पूरी तरह सिविल सोसाइटी के इशारों पर नहीं चलेगी लेकिन 30 जून की डेड लाइन को मानने की पूरी कोशिश करेगी। सरकार की इस चिट्ठी में लोकपाल बिल को लेकर कई सवाल हैं। इन सवालों का जवाब राज्य सरकारों और सियासी दलों से मांगा गया है। इन अहम सवालों में यह पूछा गया है कि क्या प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में रखा जाए… क्या हाइकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जज लोकपाल की जांच के अधीन हों... और क्या संसद के भीतर सांसदों का आचरण यानी बहस और वोटिंग में उनकी शिरकत पर लोकपाल को कोई अधिकार हो। इस चिट्ठी के ज़रिए सरकार ने सामाजिक कायर्कर्ताओं को दबाव में लाने के लिए इशारा किया है। उधर, सामाजिक कायकर्ता अब भी कह रहे हैं कि लोकपाल के दायरे को लेकर सरकार को कंजूसी नहीं दिखानी चाहिए। सोमवार को हुई बैठक के बाद सामाजिक कायकर्ताओं ने बातचीत छोड़ने की धमकी दी थी। इसके जवाब में सरकार ने कहा कि ये पेचीदा मामला है। मामला उलझा हुआ है। अब देखना है कब तक सरकार को जवाब मिलते हैं और कब वह ड्राफ्टिंग कमेटी में किसी आम राय तक पहुंचती है।


Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com