यह ख़बर 16 दिसंबर, 2013 को प्रकाशित हुई थी

दिल्ली के उपराज्यपाल ने राष्ट्रपति शासन की सिफारिश की

नई दिल्ली:

उपराज्यपाल नजीब जंग ने दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश की है क्योंकि नई सरकार के गठन को लेकर गतिरोध बरकरार है और कोई भी राजनीतिक दल सरकार बनाने का दावा नहीं पेश कर रहा है।

सरकारी सूत्रों ने बताया कि सबसे बड़े दल के रूप में उभरी भाजपा तथा आम आदमी पार्टी और कांग्रेस से व्यापक विचार विमर्श के बाद उपराज्यपाल ने राष्ट्रपति को सौंपी अपनी रिपोर्ट में विभिन्न विकल्पों में से 'राष्ट्रपति शासन' का विकल्प सुझाया है।

रिपोर्ट में क्या कुछ है, इसका ब्यौरा दिए बिना केन्द्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिन्दे ने यहां संवाददाताओं से कहा कि उपराज्यपाल ने कुछ विकल्प दिए हैं। 'हम रिपोर्ट पर कानूनी रूप से विचार कर रहे हैं।'

सूत्रों ने बताया कि उपराज्यपाल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कोई भी पार्टी सरकार गठन की स्थिति में नहीं है और सरकार के गठन को लेकर अब तक कोई स्पष्ट तस्वीर नहीं बनी है। उधर आप नेता अरविन्द केजरीवाल ने और सलाह मशविरे के लिए समय मांगा है।

सूत्रों ने कहा कि उपराज्यपाल ने कहा है कि दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगाया जाना चाहिए और जब तक कोई गठबंधन सरकार का गठन नहीं कर पाये, विधानसभा को निलंबित रखा जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि यदि कोई पार्टी सरकार गठन का दावा नहीं पेश करती तो अगले दो दिन में राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है।

सूत्रों ने कहा कि राष्ट्रपति शासन की सिफारिश के लिए केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक दो घंटे के संक्षिप्त नोटिस पर बुलाई जा सकती है।

इस बीच सूत्रों ने बताया कि राष्ट्रपति ने 10 दिसंबर को दिल्ली की नयी विधानसभा के गठन की अधिसूचना जारी की थी।

भाजपा ने स्पष्ट बहुमत नहीं मिलने के कारण सरकार बनाने से इनकार कर दिया है। आप प्रमुख केजरीवाल ने शनिवार को उप राज्यपाल से मुलाकात कर और समय मांगा था। उनका कहना था कि सरकार गठन का दावा करने से पहले वह भाजपा और कांग्रेस से कुछ सवालों के जवाब जानना चाहेंगे। सरकार गठन पर चर्चा के लिए जंग द्वारा आमंत्रित आप ने सरकार गठन में कांग्रेस और भाजपा से सहयोग लेने के लिए कुछ नई शर्तें रखीं हैं।

बैठक में केजरीवाल ने जंग को उन पत्रों की प्रतियां सौंपी, जो उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह को लिखे हैं। केजरीवाल ने 18 मुद्दों पर दोनों पार्टियों की राय मांगी है। इनमें राजधानी में वीआईपी संस्कृति समाप्त करना, बिजली कंपनियों की ऑडिट और विधायक स्थानीय फंड स्कीम समाप्त करना शामिल है।

कांग्रेस ने आज आप के पत्र का जवाब देते हुए कहा कि 18 में से 16 मुद्दों का कार्यान्वयन दिल्ली सरकार संसद या विधानसभा के बगैर कर सकती है।

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आठ विधायकों सहित कांग्रेस आप को सरकार गठन में बिना शर्त समर्थन की पेशकश पहले ही कर चुकी है।