महाराष्ट्र में टोलवसूली पर गरमायी सियासत

मुंबई:

मुंबई - पुणे रोड पर खारघर में बने नए नवेले टोल बूथ को निशाना बनाए जाने से महाराष्ट्र में राजनीति गरमा गई है। मंगलवार को राष्ट्रीय महामार्ग चार पर शुरू हुए नए टोल बूथ पर राज ठाकरे की पार्टी एमएनएस के कार्यकर्ताओं ने हमला किया। आंदोलनकारी टोलवसूली का विरोध कर रहे थे।

टोल बूथ हमले के मामले मे पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए आंदोलनकारियों के खिलाफ़ मामला दर्ज़ किया है। उधर पार्टी के नेता बाला नांदगांवकर ने संवाददातों को बताया की, हिंसा का समर्थन नहीं हो सकता। लेकिन, जिस टोल बुथ पर आंदोलन हुआ है उसे शुरू न करने को लेकर एमएनएस सरकार को लगातार बिनती करती आ रही थी। मौजूदा सरकार ने सत्ता में आने से पहले इसी टोलवसूली का विरोध किया है। लेकिन, अब अपनी बात से सरकार मुकर गई है।

मुंबई और पुणे की सबसे व्यस्त सड़क पर खारघर में नए टोल बूथ को लगाने का विरोध पिछले 6 महीने से हो रहा था। तत्कालीन कांग्रेस-एनसीपी सरकार ने इस सड़क को चौड़ा करने के खर्च को टोल से वसूलने का फैसला किया, जो विवादित साबित हुआ, जिससे टोलवसूली टालनी पड़ी।

नई सरकार ने भी टोल शुरू करने से खुद को दूर रखा, जिस के खिलाफ़ टोल कंपनी कोर्ट में चली गई। फिर कोर्ट ने सरकार को 15 दिन में टोल शुरू करने का आदेश दिया। ऐसे में सरकार को 6 जनवरी 2015 से टोल शुरू करनी पड़ा।

वहीं राज्य के लोकनिर्माण मंत्री चंद्रकांत पाटिल का कहना है कि टोलवसूली न होती तो कोर्ट की अवमानना होती। ऐसे में भी सरकार ने टोल प्लाज़ा के आसपास के पांच गांवों के वाहनों को टोल से छूट दी हुई है। आगे भी सरकार लोगों को होनेवाली परेशानी से रास्ता निकालने की कोशिश करेगी।

दरअसल, जिस सड़क पर नया टोल बूथ लगा है, उसका इस्तेमाल स्थानीय लोग आसपास के गावों में आने जाने के लिए करते हैं। अब उन्हे एक बार के आने जाने के लिए 30 रुपये देने होंगे। तो दूसरी तरफ़ इस सड़क पर महज 15 किलोमिटर के दायरे में 3 टोल बूथ आने से इस अंतर को काटने के लिए 70 रुपये लगने वाले हैं। नेशनल टोल पॉलिसी इस की अनुमति नहीं देती।

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टोल का मुद्दा महाराष्ट्र में पिछले एक साल से खासा गरमाता रहा है। लेकिन इस पर आंदोलन करने वाले दल बड़े संदिग्ध तरीके से चुप बैठ जाते हैं। इसी के चलते टोल का मुद्दा राज्य में बार-बार भड़कता रहता है। इसे लेकर दोनों ही ओर से आरोपों और प्रत्यारोपों का दौर शुरू हो गया।