यह ख़बर 20 सितंबर, 2012 को प्रकाशित हुई थी

संप्रग से आज औपचारिक तौर पर संबंध तोड़ लेगी तृणमूल

खास बातें

  • तृणमूल कांग्रेस शुक्रवार को केंद्र से अपने मंत्रियों को हटाकर और सरकार से समर्थन वापस लेकर संप्रग से नाता तोड़ने जा रही है।
कोलकाता:

तृणमूल कांग्रेस शुक्रवार को केंद्र से अपने मंत्रियों को हटाकर और सरकार से समर्थन वापस लेकर संप्रग से नाता तोड़ने जा रही है। वहीं, बाहर से समर्थन दे रहे मुलायम सिंह यादव के मिले-जुले संकेतों के बावजूद सरकार अपनी स्थिरता को लेकर आश्वस्त है।

केंद्र डीजल, रसोई गैस सिलेंडर और एफडीआई पर फैसलों को वापस लेने की ममता की मांग पूरी करने के ‘मूड’ में नहीं है, वहीं तृणमूल कांग्रेस प्रमुख एवं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को कोलकाता में कहा कि उनकी पार्टी के छह मंत्री कल प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को अपना इस्तीफा सौंपेंगे।

ममता ने कहा, ‘‘हम पहले ही सामूहिक फैसला कर चुके हैं। हमारे मंत्री अपना इस्तीफा सौंप देंगे। प्रतिबद्धता तो प्रतिबद्धता है। हमने राष्ट्रपति से भी कल मिलने का समय मांगा है, अगर वह समय देते हैं तो।’’ तृणमूल के लोकसभा में 19 सदस्य हैं।

तृणमूल पार्टी से संप्रग सरकार में छह मंत्री हैं, जिनमें एक कैबिनेट स्तर के मंत्री हैं। ममता ने कहा कि मल्टी ब्रांड खुदरा कारोबार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) पर बातचीत की कोई गुंजाइश नहीं है। साथ ही, उन्होंने कांग्रेस नेतृत्व के साथ किसी तरह की वार्ता के लिए दिल्ली जाने की संभावना से इनकार किया।

यह पूछे जाने पर कि क्या दिल्ली जाने की उनकी कोई योजना थी, ममता ने जवाब दिया, ‘‘मुझे बताइए कि मैं दिल्ली क्यों जाऊंगी? 100 करोड़ रुपया? विज्ञापन? क्या सौदेबाजी है? मैं इन पर यकीन नहीं करती। हमारा परिचय हमारी प्रतिबद्धता है।’’

यह पूछे जाने पर कि क्या वह इन मुद्दों पर अन्य राजनीतिक पार्टियों से मशविरा करेंगी, उन्होंने कहा, ‘‘जब आप राह पकड़ लेंगे, तब आपको आगे का रास्ता दिख जाएगा। हमारा सभी से सौहार्दपूर्ण संबंध है और आप खुद-ब-खुद पाएंगे कि सभी अपने आप एक हो गए हैं।’’

खुदरा कारोबार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की इजाजत के विरोध के अपने रुख पर अडिग रहते ममता ने कहा, ‘‘हम खुदरा कारोबार में यह स्वीकार नहीं करेंगे और हम भविष्य में इसे कभी स्वीकार नहीं करेंगे। हम इसके (एफडीआई) प्रवेश का प्रतिरोध करेंगे।’’

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उन्होंने कहा, ‘‘यह फैसला अवास्तविक और जनविरोधी हैं। आप अपने देश को एफडीआई के जरिये नहीं बेच सकते। खुदरा कारोबार में जो लोग एफडीआई का समर्थन कर रहे हैं, जनता उनको चुप कर देगी। हम जनता की आवाज का सम्मान करते हैं। जनता को फैसला करने दिया जाए। देश को फैसला करने दिया जाए।’’