यह ख़बर 11 दिसंबर, 2013 को प्रकाशित हुई थी

मंगलयान के प्रक्षेपण मार्ग में सुधार का पहला परीक्षण सफलतापूर्वक संपन्न

चेन्नई:

मंगल ग्रह की तरफ बढ़ते भारत के पहले अंतरिक्ष यान को उसके सही प्रक्षेपण मार्ग पर बनाए रखने के लिए इसरो ने उसमें सुधार का पहला परीक्षण बुधवार को सफलतापूर्वक संपन्न किया।

मंगलयान इस समय पृथ्वी से करीब 29 लाख किलोमीटर दूर है।

इसरो ने एक बयान में कहा, 'अंतरिक्ष यान का पहला ट्रैजेक्टरी करेक्शन मैनोवर (टीसीएम) सुबह साढ़े छह बजे 40.5 सेकंड की गति वाले 22 न्यूटन थ्रस्टर्स को प्रक्षेपित करके सफलतापूर्वक सम्पन्न किया गया। अंतरिक्ष यान पृथ्वी से करीब 29 लाख किलोमीटर की दूरी पर है।'
    
टीसीएम अंतरिक्ष यान को सही प्रक्षेपण मार्ग पर बनाए रखता है ताकि यह लाल ग्रह की ओर तय पथ पर यात्रा करता रहे। इसरो ने अपने आधिकारिक फेसबुक पेज पर कहा कि 1 दिसंबर को सफलतापूर्वक ट्रांस मार्स इंजेक्शन के बाद से एमओएम संचालक अंतरिक्ष यान की गति पर नजर रख रहे हैं और इसके सही प्रक्षेपण मार्ग को निर्धारित कर रहे हैं ताकि उसमें आवश्यक सुधार किया जा सके।

उन्होंने कहा, 'इस आधार पर प्रक्षेपण का समय और डेल्टा वी की गणना गई है जो यान के अंतरिक्ष पथ में भटकाव को बढने से पहले से ही सही कर देगा। टीसीएम के दौरान एमओएम पर मौजूद त्वरणमापी वांछित डेल्टा वी प्राप्त होने पर सूचना देते हैं।'

इसरो ने बताया कि अंतरिक्ष यान पर कम्प्यूटर की मदद से आज सुधार किया गया क्योंकि एमओएम की पहले ही 29 लाख किलोमीटर की गति के कारण संकेत के जाने और वापस आने के लिए आवश्यक समय करीब 20 सेकंड है।

उन्होंने कहा, 'एमओएम दल संचार में देरी से निपटने के लिए व्यावहारिक एवं क्रियाशील अनुभव हासिल कर रहा है। यह देरी धीरे-धीरे बढ़ रही है।'

मार्स आरबिटर मिशन (एमओएम) पर चार प्रक्षेप पथ सुधार परीक्षण किए जाएंगे।

इसरो ने इससे पहले कहा था कि एमओएम मंगल ग्रह पर जाने का सबसे छोटा रास्ता नहीं पकड़ेगा क्योंकि यदि ऐसा किया गया तो ग्रह की गति के अनुरूप इसकी गति को बढ़ाने और बाद में कम करने में बहुत बड़ी मात्रा में ईंधन की जरूरत होगी। इस यान को कुल 68 करोड़ किलोमीटर की यात्रा करनी है और यह ईंधन के तौर पर मोनोमिथाइल हायड्राजिन का इस्तेमाल कर रहा है। इसरो ने 5 नवंबर को मंगल यान को अंतरिक्ष में रवाना किया था।

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यान को जिस रास्ते पर चलकर कम ईंधन की जरूरत होगी वह सूर्य के इर्द गिर्द मंगल और पृथ्वी की कक्षा को छूती हुई अंडाकार कक्षा है। एमओएम को इस अंडाकार प्रक्षेप पथ पर चलते हुए 68 करोड़ किलोमीटर की यात्रा करनी होगी।