मणिपुर में फर्जी एनकाउंटर : केंद्र सरकार और सेना को झटका, सुप्रीम कोर्ट ने दिए जांच के आदेश

मणिपुर में फर्जी एनकाउंटर : केंद्र सरकार और सेना को झटका, सुप्रीम कोर्ट ने दिए जांच के आदेश

इरोम शर्मिला (फाइल फोटो)

खास बातें

  • सेना या पुलिस ज्यादा फोर्स का इस्तेमाल नहीं कर सकते
  • क्रिमिनल कोर्ट को एनकाउंटर मामलों के ट्रायल का अधिकार है
  • एनकाउंटरों की स्वततंत्र जांच होनी चाहिए
नई दिल्ली:

मणिपुर में सेना द्वारा फर्जी एनकाउंटर के आरोप वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया है। कोर्ट का यह फैसला सेना के लिए बुरी खबर है।

कोर्ट ने कहा कि अगर AFSPA लगा है और इलाका भी डिस्टर्ब एरिया के तहत क्लासीफाइड भी है तो भी सेना या पुलिस ज्यादा फोर्स का इस्तेमाल नहीं कर सकते। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि क्रिमिनल कोर्ट को एनकाउंटर मामलों के ट्रायल का अधिकार है।

सप्रीम कोर्ट ने कहा कि सेना और पुलिस के ज्यादा फोर्स और एनकाउंटरों की स्वततंत्र जांच होनी चाहिए। कौन सी एजेंसी ये जांच करेगी, ये कोर्ट बाद में तय करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मणिपुर के 1528 एनकाउंटरों की जांच होनी चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने अमाइक्स क्यूरी से उन सब 62 मामलों की स्टेटस रिपोर्ट मांगी जिन्हें जस्टिस संतोष हेगडे या NHRC ने फर्जी बताया। कोर्ट ने कहा, सेना हर केस में कोर्ट आफ इंक्वायरी करने को स्वतंत्र है।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में एनकाउंटर मामलों की जांच सीबीआई या SIT से कराने की मांग की गई थी। सेना पर 2000 से 2012 के बीच करीब 1500 लोगों को फर्जी एनकाउंटर करने का आरोप है।

हालांकि सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने इन आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए कहा था कि भारतीय सेना ने जवाबी कारवाई के तहत ये एनकाउंटर किए थे। ये कार्रवाई सेना को विदेशी ताकतों को रोकने और देश की संप्रभुता की रक्षा करने के लिए करनी पड़ी। 2013 में बनाई गई जस्टिस संतोष हेगडे की कमेटी ने 1500 एनकाउंटरों की जांच की सिफारिश की थी। केंद्र ने इस रिपोर्ट को रद्द करने की मांग की है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने करीब आठ मामलो की जांच के आदेश दिए थे।


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