यह ख़बर 17 अगस्त, 2011 को प्रकाशित हुई थी

वार्ता नाकाम, तिहाड़ छोड़ने को अन्ना राजी नहीं

खास बातें

  • सरकार बुरी तरह फंस गई है। एक तरफ देश भर की मुख्य सड़कें आंदोलनकारियों से पटी पड़ी हैं, तो दूसरी तरफ उसे संसद में हमला झेलना पड़ रहा है।
New Delhi:

भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम में जुटे अन्ना हजारे दिल्ली की तिहाड़ जेल में ही जमे हुए हैं। अन्ना हजारे का कहना है कि जब तक उन्हें बिना शर्त अनशन की इजाजत नहीं मिलती, तब तक वह जेल से बाहर नहीं जाएंगे। हालांकि देर रात तक अन्ना हजारे और उनकी टीम को मनाने की कोशिशें जारी रहीं, लेकिन अन्ना अनशन को लेकर कोई शर्त मानने को तैयार नहीं हैं। सूत्रों के मुताबिक दिल्ली पुलिस अन्ना हजारे को अनशन के लिए रामलीला मैदान की इजाजत देने को तैयार हो गई थी, लेकिन सिर्फ सात दिन के लिए, लेकिन इस समयसीमा पर अन्ना हजारे तैयार नहीं हैं। इस बीच, तिहाड़ जेल के बाहर दिन भर और देर रात तक जनता का सैलाब उमड़ा रहा। लोग हाथों में तिरंगे और बैनर लिए अन्ना हजारे के समर्थन में नारे लगाते रहे और देश से भ्रष्टाचार मिटाने और मजबूत लोकपाल बिल लाने की मांग करते रहे। अन्ना हजारे के समर्थक बुधवार को शाम चार बजे से दिल्ली के इंडिया गेट पर जमा होने शुरू हो गए। टीम अन्ना के सदस्य प्रशांत भूषण ने लोगों से जनलोकपाल बिल के समर्थन में यहां जमा होने का ऐलान किया था। शाम चार बजे से यहां जुटी भीड़ देर रात तक इंडिया गेट पर ही टिकी हुई थी। रात को यहां मोमबत्ती और मशाल जुलूस निकाला गया। लोगों ने इंडिया गेट से जंतर-मंतर और वापस इंडिया गेट तक विरोध मार्च किया। इस रैली में सभी तबकों के लोगों ने हिस्सा लिया। अन्ना की आंच पूरे देश में महसूस की जा रही है। दिल्ली, बेंगलुरु, गुवाहाटी, चंडीगढ़, पटना, भोपाल तमाम शहरों में अन्ना के हक में आंदोलन चलता रहा। कहीं मशाल लिए लोग थे, कहीं वकील, कही ऑटोवाले, तो कहीं  मिल मजदूर। दिल्ली के इंडिया गेट में तो हजारों की तादाद में लोग रैली का हिस्सा बने। अन्ना के बढ़ते जन समर्थन ने दिन भर सरकार पर दबाव बनाए रखा। सरकार एक समय सात दिन के अनशन पर राजी हुई, तो टीम अन्ना ने कोई भी समयसीमा मानने से इनकार कर दिया। रामलीला मैदान की सफाई शुरू कर दी गई। हालांकि सरकार ने अन्ना की सारी शर्तें मान ली हैं। वो भी जो अन्ना ने नहीं रखी थी। वह जेपी पार्क की जगह अन्ना को रामलीला मैदान देने को तैयार हो गई। न लोगों की तादाद पर पाबंदी रही, न गाड़ियों की तादाद पर शर्त चली। लेकिन मामला अनशन की मियाद पर अटक गया। दरअसल सरकार बुरी तरह फंस गई है। एक तरफ देश भर की मुख्य सड़कें आंदोलनकारियों से पटी पड़ी हैं, तो दूसरी तरफ उसे संसद में हमला झेलना पड़ रहा है। संसद में प्रधानमंत्री ने बयान दिया, तो विपक्ष ने उनकी जमकर खबर ली। बहरहाल सरकार ने घुटने टेक दिए हैं और अब टीम अन्ना दिल्ली के रामलीला मैदान में अनशन की तैयारी में है। लेकिन इससे सरकार की चुनौती खत्म नहीं शुरू होती है। अब सवाल है सरकार क्या करेगी? वह संसद में पेश लोकपाल बिल वापस लेकर उसकी जगह जन लोकपाल बिल नहीं पेश कर सकती। वह ज्यादा से ज्यादा ये कोशिश कर सकती है कि बाकी राजनीतिक दलों को अपने साथ जोड़े और समझाए कि अन्ना की मांग संसदीय परंपराओं के खिलाफ है। सच तो ये है कि बीच के दौर में सरकार और विपक्ष में लगभग ये आम राय बनती लग रही थी कि अन्ना को संसद से बड़ा दिखने की इजाजत नहीं दी जा सकती, लेकिन अन्ना के खिलाफ कांग्रेस के निजी हमले और फिर उनकी गिरफ्तारी के बाद सरकार अलग−थलग पड़ चुकी है। अब उसे नए सिरे से टीम अन्ना को भी समझाना होगा और विपक्ष को भी साधना होगा ताकि अन्ना अनशन छोड़ें और संसद लोकपाल बिल में कुछ नए सुझाव जोड़े। लेकिन एनडीटीवी को पता चला है कि दरअसल अन्ना के अनशन को लेकर सरकार इतने दबाव में रही कि वह अपनी एजेंसियों पर भी यकीन नहीं पर पाई। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक आईबी की रिपोर्ट थी कि अन्ना को अनशन की इजाजत न देना ज्यादा नुकसानदेह होगा। उन्हें कहीं ज्यादा बड़ा समर्थन हासिल होगा। पुलिस ने भी कहा था कि कुछ दिन के लिए अन्ना को अनशन करने देने में कोई हर्ज नहीं। जब उनकी तबीयत बिगड़ेगी, तो उन्हें उठा दिया जाएगा।  लेकिन सरकार ने दोनों रिपोर्टों को नजरअंदाज कर दिया। अन्ना हजारे फिलहाल तिहाड़ जेल में ही हैं। वह जेल से निकलने के लिए तैयार नहीं हैं। बाहर निकलने के बाद कहां अनशन करेंगे, इसको लेकर बातचीत जारी है। टीम अन्ना की एक सदस्य किरण बेदी का कहना है कि रामलीला मैदान को लेकर प्रशासन से बातचीत चल रही है। लेकिन अनशन की मियाद को लेकर पुलिस और अन्ना हजारे में अब भी मतभेद है। किरण बेदी का कहना है कि उन्होंने 30 दिन की इजाजत मांगी है, जबकि अफसर कम दिन की परमिशन देना चाहते हैं। दिल्ली पुलिस के स्पेशल कमिश्नर (लॉ एंड ऑर्डर) धर्मेंद्र कुमार और ज्वाइंट सीपी नई दिल्ली रेंज सुधीर यादव अन्ना की टीम को काफी देर तक समझाते रहे। लेकिन जब बात नहीं बनी, तो वे बाहर चले आए। इस बीच रामलीला मैदान में साफ−सफाई का काम शुरू हो गया है। अन्ना हजारे के सामने तरह−तरह की शर्तें रखने वाली सरकार के सामने तिहाड़ से निकलने के लिए अन्ना हजारे अपनी शर्तें रखते रहे। इस बीच खबर है कि जेल के अफसर अन्ना के जेल में ही रहने की जिद से परेशान हो गए हैं। उनका कहना है कि वे आखिर किस कानून के तहत अन्ना को जेल में रखें। अन्ना मंगलवार से ही अनशन पर हैं, वह सिर्फ पानी पी रहे हैं। उनके साथ 4 और लोग अनशन कर रहे हैं, लेकिन तिहाड़ जेल में उनके ही साथ भेजे गए अरविंद केजरीवाल खाना खा रहे हैं। श्री श्री रविशंकर और बाबा रामदेव उनसे मिलने के लिए तिहाड़ जेल में गए। इससे पहले, अन्ना ने रिहाई के बाद भी मंगलवार की रात जेल में ही काटी और वह जिद पर अड़े रहे कि उनकी रिहाई बिना किसी शर्त की जाए। देर रात अण्णा को तिहाड़ एडमिनिस्ट्रेटिव ब्लॉक में आराम करने के लिए एक कमरा दिया गया और पुलिस के आला अधिकारी उन्हें और उनकी टीम को मनाने में जुटे रहे।उधर, इंडिया गेट से जंतर-मंतर तक रैली निकलने के बाद हजारे के समर्थकों को संबोधित करते हुए स्वामी अग्निवेश ने कहा कि हमने पुलिस से कहा है कि अगर वह जयप्रकाश नारायण पार्क पर अनशन की अनुमति देती है, तो प्रदर्शनकारियों की संभावित संख्या के लिहाज से वह स्थान छोटा पड़ेगा। लिहाजा, हमने रामलीला मैदान पर अनशन की अनुमति देने को कहा है। अग्निवेश ने कहा कि पूरी संभावना है कि रामलीला मैदान पर बैठकर ही हजारे अनशन करेंगे। पुलिस ने शुरुआती तौर पर सात दिन के अनशन की अनुमति देने की पेशकश रखी है, लेकिन हम एक महीने की अनुमति चाहते हैं। सूत्रों ने कहा कि दिल्ली पुलिस के नए प्रस्ताव में अनशन स्थल पर पार्क होने वाले वाहनों की संख्या सीमित रखने और किसी सरकारी चिकित्सक द्वारा ही अनशनकारियों का चिकित्सकीय परीक्षण करने की शर्त को हटा लिया गया है। अब सरकारी चिकित्सक के साथ ही हजारे पक्ष के किसी निजी चिकित्सक को भी अनशनकारियों के परीक्षण की इजाजत होगी। सूत्रों के मुताबिक, पुलिस विरोध प्रदर्शन को सात दिन की अवधि बाद भी जारी रखने की इजाजत दे सकती है। उन्होंने कहा कि प्रदर्शनकारियों की संख्या सीमित रखने की कोई बंदिश नहीं होगी और रामलीला मैदान की क्षमता के अनुरूप वहां प्रदर्शनकारियों को इकट्ठा होने की अनुमति दी जाएगी।(कुछ अंश भाषा से भी)


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