मथुरा : शहीद पुलिस अधिकारियों के परिवार को 50-50 लाख रुपये की मदद : अखिलेश यादव

मथुरा : शहीद पुलिस अधिकारियों के परिवार को 50-50 लाख रुपये की मदद : अखिलेश यादव

अखिलेश यादव (फाइल फोटो)

खास बातें

  • शहीद पुलिस अधिकारियों के परिवार को 50-50 लाख का मुआवज़ा
  • शहीद अधिकारियों की पत्नियों को सरकारी नौकरी
  • मथुरा पुलिस की तरफ से 26-26 लाख की मदद का ऐलान
मथुरा:

मथुरा हिंसा में शहीद हुए पुलिस वालों के लिए उत्तरप्रदेश सरकार ने मुआवज़े का ऐलान किया है। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में घोषणा की है कि शहीदों के परिवार को 50-50 लाख रुपये की मदद दी जाएगी साथ ही उनकी पत्नियों को सरकारी नौकरी भी दी जाएगी।

इसके अलावा दोनों ही पुलिस अफसरों की जितने दिन की नौकरी बची थी, उतने दिन की पूरी तनख्वाह उनकी पत्नियों को दी जाएगी। घोषणा में यह भी कहा गया है कि शहीद पुलिसकर्मियों के रिटायरमेंट की तारीख के बाद उनकी जितनी पेंशन बनती है, उतनी पेंशन उनकी पत्नियों को दी जाएगी। मथुरा पुलिस ने भी शहीद अधिकारियों को अपने वेतन से 26-26 लाख रुपए की मदद देने का ऐलान किया है।

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हेमा मालिनी की मांग
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रामवृक्ष का क्या हुआ
इसके अलावा 280 एकड़ इलाके में पुलिस का सर्च ऑपरेशन जारी है ताकि पता लगाया जा सके कि कहीं लैंडमाइन या विस्फोटक न हों। बम निरोधक दस्ता और फॉरेंसिक एक्सपर्ट जवाहर बाग के अंदर मौजूद हैं। इस बीच रामवृक्ष यादव को लेकर पुलिस अभी कुछ भी साफ़ नहीं कर रही है कि वह मारा गया, गिरफ़्तार किया गया या फ़रार है। सूत्रों के हवाले से यह भी खबर है कि मुख्य आरोपी रामवृक्ष यादव की इस कार्रवाई में जलकर मौत हो गई है।

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जवाहर बाग में चल रही थी रामवृक्ष की हुकूमत
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इस मामले पर राजनीतिक दल भी दोषारोपण करने से पीछे नहीं हट रहे हैं। उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था के बहाने बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने मुलायम सिंह यादव पर निशाना साधते हुए कहा कि शिवपाल यादव का फौरन इस्तीफ़ा ले लेना चाहिए। वहीं बसपा नेता मायावती ने इस मामले की न्यायिक या सीबीआई जांच करवाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी सरकार की छवि देश की सबसे खराब सरकार की छवि है।

क्या था मामला
मथुरा के जवाहर बाग में पिछले दो साल से हुए अतिक्रमण को हटाने के लिए पुलिस गई थी। आपसी फ़ायरिंग में दो पुलिस अधिकारी शहीद हो गए, साथ ही 22 उपद्रवियों की भी मौत हुई है, जिनमें 11 की मौत आग में झुलसकर हुई है। अपने को धार्मिक संगठन बताने वाले इस संगठन के सदस्यों ने दो साल से अधिक समय से पार्क पर कब्जा कर रखा था। अदालत से आदेश के बावजूद पुलिस उन्हें अभी तक यहां से निकालने में विफल रही थी। शुक्रवार को हुई हिंसक वारदात के बाद इस संगठन की परतें धीरे धीरे सबके सामने खुल रही हैं।


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