यह ख़बर 02 दिसंबर, 2012 को प्रकाशित हुई थी

उत्तर प्रदेश में पिछले तीन साल में सर्वाधिक सांप्रदायिक दंगे

खास बातें

  • उत्तर प्रदेश में पिछले तीन साल में अन्य प्रांतों के मुकाबले सर्वाधिक सांप्रदायिक दंगे हुए हैं।
नई दिल्ली:

उत्तर प्रदेश में पिछले तीन साल में अन्य प्रांतों के मुकाबले सर्वाधिक सांप्रदायिक दंगे हुए हैं।

केंद्रीय गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि केवल चालू वर्ष में ही अक्टूबर तक के आंकड़ें बताते हैं कि उत्तर प्रदेश में विभिन्न स्थानों पर सांप्रदायिक दंगों की 104 घटनाएं हुई जिनमें 34 लोग मारे गए और 456 लोग घायल हुए।

उत्तर प्रदेश में वर्ष 2009 से लेकर अक्टूबर 2012 तक के हालात पर गौर किया जाए तो वहां सांप्रदायिक दंगों की कुल 468 घटनाएं हुई हैं जिनमें करीब सौ लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा।

अधिकारियों ने बताया कि उत्तर प्रदेश के आंकड़ें बताते हैं कि वर्ष 2009 से लेकर 2011 तक प्रांत में सांप्रदायिक दंगों की घटनाओं में कमी आई और वर्ष 2009 में जहां ऐसी 159 घटनाएं हुई तो वहीं वर्ष 2010 में यह आंकड़ा 121 और वर्ष 2011 में 84 तक सिमट गया।

लेकिन वर्ष 2012 में प्रांत में सांप्रदायिक घटनाओं की संख्या में अचानक से इजाफा हुआ और अक्टूबर तक सांप्रदायिक दंगों की 104 घटनाएं हुई जिनमें 34 लोग मारे गए और 456 घायल हुए।

गृह मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि इसी अवधि में महाराष्ट्र में सांप्रदायिक दंगों की 83, मध्य प्रदेश में 78, गुजरात में 50, आंध्र प्रदेश में 45 और बिहार में 17 घटनाएं हुई। कुछ ऐसे भी राज्य हैं जहां इस प्रकार की कोई घटना सामने नहीं आई जिनमें अरूणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर आदि प्रमुख हैं।

सांप्रदायिक दंगों के हिसाब से उत्तर प्रदेश के बाद महाराष्ट्र की स्थिति सर्वाधिक खराब है जहां वर्ष 2009 में 128, वर्ष 2010 में 117, वर्ष 2011 में 88 तथा इस वर्ष अक्टूबर तक 83 घटनाएं सामने आईं।

इस दृष्टि से मध्य प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात, केरल और आंध्र प्रदेश की स्थिति भी काफी खराब है। इस वर्ष इन राज्यों में सांप्रदायिक दंगों की क्रमश: 78, 54, 50, 46 और 45 घटनाएं हुई।

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सांप्रदायिक सद्भाव के लिहाज से असम को छोड़कर पूर्वोत्तर राज्यों की स्थिति को एक उदाहरण कहा जा सकता है जहां इस वर्ष कोई सांप्रदायिक दंगा नहीं हुआ। इतना ही नहीं इस क्षेत्र में त्रिपुरा और मेघालय की एकाध छुटपुट घटनाओं को छोड़कर पिछले तीन साल में सांप्रदायिक दंगे की कोई घटना नहीं हुई। इस साल असम में हुए दंगे इस रिकॉर्ड को खराब कर गए।

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