यह ख़बर 12 नवंबर, 2014 को प्रकाशित हुई थी

स्कूल में बच्चों की हिफाज़त को लेकर सरकार और निजी स्कूलों में ठनी

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की फाइल तस्वीर

बेंगलुरु:

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैय्या का मानना है की जिन स्कूलों  में को-एजूकेशन की वयवस्था है वहां पहली से पांचवी क्लास तक महिला शिक्षकों को ही बहाल करना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कर्नाटक के चित्रदुर्गा में यहाँ तक कहा कि क्लासरूम में जहां लड़कियां होती हैं, वहां से पुरुषों को दूर रखा जाए क्योंकि बेंगलुरु और इस के आसपास हाल में बच्चीयों के साथ बदसलूकी और बलात्कार के जो मामले सामने आए हैं उन चारों मामले में अपराधी स्कूल के अंदर ही मौजूद थे।

हालांकि इससे पहले कर्नाटक हाईकोर्ट ने भी कहा था कि जहां ज़रूरत हो वहां सिर्फ महिला शिक्षकों को की बहाल किया जाए। जहां तक की स्कूल में सुरक्षाकर्मी और स्कूल वैन ड्राइवर्स के लिए भी महिलाओं को रखा जा सकता है, क्योंकि महिलाएं सभी क्षेत्रों में आजकल काम कर रही हैं।

वहीं, दूसरी तरफ प्रशासन ने लगभग 170 स्कूलों के खिलाफ दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करने की वजह से मुक़दमा दर्ज किया है। जिसमें ज़्यादातर निजी स्कूल हैं।

राज्य सरकार के सिलेबस के अनुसार पढ़ाने वाले निजी स्कूलों के संगठन के महासचिव शशि कुमार का कहना है कि सरकार को चाहिए कि वो इन स्कूलों को 15 से 25 रुपये हर महीने फीस बढ़ाने के साथ-साथ एक बार में 200 से 300 रुपये अभिभावकों से लेने की इजाज़त दे ताकि बच्चों की हिफाज़त के लिए दिशा-निर्देशों के मुताबिक़ ज़रूरी कदम उठाया जा सके।

नियमों के मुताबिके इन स्कूलों के स्टाफ पर आने वाले ख़र्चे के अलावा 30 फीसदी रकम ही वसूलने की इजाज़त है, जबकि सीबीएसई और आईसीएसई सिलेबस के तहत पढ़ाई कराने वाले स्कूल फी स्ट्रक्चर खुद ही तैयार करते हैं और इनपर सरकार का नियन्त्रण नहीं है।

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छुट्टी के वक़्त स्कूल के बाहर पुलिस की मौजूदगी से भी इन स्कूलों को ऐतराज़ है। बेंगलुरु पुलिस के अतिरिक्त आयुक्त विधि वयवस्था अलोक कुमार का कहना है कि बीट पुलिसिंग में स्कूलों को भी शामिल किया जा रहा है। इसके तहत छुट्टियों के वक्त पुलिस की पेट्रोलिंग जिप्सी या मोटर साइकिल वहां मौजूद रहेगी।