गृह मंत्रालय ने दिल्‍ली के सीएम केजरीवाल से छीन लिए दो बड़े अधिकार

नई दिल्‍ली:

केंद्र सरकार ने दिल्ली को लेकर नई अधिसूचना जारी कर ये साफ़ कर दिया कि ट्रांसफ़र-पोस्टिंग के अधिकार एलजी के पास हैं। यही नहीं, केंद्रीय कर्मचारियों के ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार के मामलों में कार्रवाई का अधिकार भी राज्य सरकार से छीन लिया।

दरसल नजीब जंग और केजरीवाल के टकराव में केंद्र ने अपना वज़न उपराज्यपाल के हक़ में डाल दिया। 1998 के कानून में दो बदलाव ऐसे किए कि केजरीवाल के हाथ से दो बड़े अधिकार निकल गए।

1998 की अधिसूचना में कहा गया था कि उपराज्यपाल मुख्यमंत्री से मशविरा लेकर फ़ैसला करेगा। नई अधिसूचना में कहा गया है कि उपराज्यपाल जहां ज़रूरी समझेगा, वहां मुख्यमंत्री से मशविरा करेगा। यही नहीं, राज्य सरकार के भ्रष्टाचार निरोधी ब्यूरो को भी केंद्रीय कर्मचारियों पर कार्रवाई करने से रोक दिया गया है।

दिलचस्प ये है कि कभी दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग करने वाली बीजेपी के नेता और कानून मंत्री दिल्ली की सीमित हैसियत की याद दिला रहे हैं।  वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा, 'हम नहीं चाहते कि सरकारी दफ्तरों में ताले लग जाएं इसलिए ये नोटिफिकेशन लाया गया है।'

पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने कहा कि सरकार चलाने में संतुलन बरतने की ज़रूरत पड़ती है। दिल्ली चलाना इतना आसान नहीं है, फैसले लेना आसान है, उन्हें अमल करवाना मुश्किल है।

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जबकि आम आदमी पार्टी की सरकार इस अधिसूचना को लोकतंत्र के ख़िलाफ़ बता रही है। आम आदमी पार्टी का आरोप ये भी है कि इस अधिसूचना की मार्फत केंद्र सरकार भ्रष्टाचार का बचाव कर रही है। जाहिर है, सवाल ट्रांसफ़र-पोस्टिंग भर का नहीं है, केंद्र और राज्य के बीच टकराव का भी है। आने वाले दिनों में इस टकराव के और भी मोर्चे हमें देखने को मिल सकते हैं।