कॉर्पोरेट जासूसी मामला : पुलिस ने कहा कि कुछ और पीए और पीएस की जांच की जरूरत

फाइल फोटो

नई दिल्ली:

एक स्थानीय अदालत ने कॉर्पोरेट जासूसी मामले में गिरफ्तार एक व्यक्ति की पुलिस हिरासत तीन दिन के लिए बढ़ा दी, वहीं दिल्ली पुलिस ने कहा है कि इस मामले में नौकरशाहों के निजी सहायकों (पीए) और निजी सचिवों सहित कुछ और नाम सामने आए हैं जिनकी जांच की जरूरत है।

नोएडा स्थित एक कंसल्टेंसी कंपनी के एक कर्मचारी लोकेश शर्मा को पांच दिन की पुलिस हिरासत की अवधि समाप्त होने पर मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट सतीश कुमार अरोड़ा के समक्ष पेश किया गया।

पुलिस ने उसकी हिरासत अवधि बढ़ाए जाने की मांग करते हुए कहा कि मंत्रालयों में वरिष्ठ नौकरशाहों के निजी सचिवों (पीएस) और सहायकों सहित कुछ और लोगों के नाम सामने आए हैं जिनकी जांच की जरूरत है।

एजेंसी ने कहा कि उन्हें जासूसी मामले में दर्ज दूसरी प्राथमिकी के सिलसिले में लोकेश शर्मा को दो अन्य आरोपियों के सामने बिठाकर पूछताछ करने की जरूरत है।

दो अन्य आरोपियों में वन एवं पर्यावरण मंत्रालय में संयुक्त सचिव का पीएस जीतेंद्र नागपाल और एक यूपीएससी सदस्य का पीए विपिन कुमार शामिल हैं। उन्हें मंत्रालयों से संवेदनशील दस्तावेज हासिल करने के आरोप में 25 फरवरी को गिरफ्तार किया गया था।

मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने कहा कि यह मामला गंभीर प्रवृति का है और ‘‘पुलिस हिरासत तीन दिन और बढ़ाने के लिए किया गया अनुरोध स्वीकार किया जाता है।’’ अदालत ने अपराध शाखा से यह भी कहा कि वह आरोपी को प्राथमिकी और अन्य दस्तावेजों की प्रतियां मुहैया कराए।

अदालत ने कहा, ‘‘इसका उद्देश्य यह है कि उसे पता होना चाहिए कि उसके खिलाफ क्या आरोप लगाए गए हैं।’’ इसके साथ ही अदालत ने पुलिस से कहा कि वह तीन मार्च तक तय करे कि यह मामला सरकारी गोपनीय कानून के तहत आता है या नहीं।

लोकेश की ओर से पेश वकील डीके येती ने हिरासत में पूछताछ का विरोध किया और कहा कि उनका मुवक्किल पहले ही पांच दिन पुलिस हिरासत में रह चुका है जो इसके लिए जरूरी समय से अधिक है। उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस पहले ही उससे दस्तावेज बरामद कर चुकी है।

अदालत ने कहा, ‘‘दो मूल दस्तावेज सहित कई दस्तावेज उससे मिले जो उसके पास नहीं होने चाहिए थे। अपराध शाखा ने सूचित किया है कि मंत्रालयों के कुछ दस्तावेज जो अभी प्रकाशित भी नहीं हुए थे, वे भी उसके कब्जे से बरामद किए गए।’’

अपराध शाखा ने लोकेश को 23 फरवरी को गिरफ्तार किया था। अपराध शाखा का दावा था कि कोयला, बिजली और अन्य मंत्रालयों से संबंधित ‘‘संवेदनशील’’ दस्तावेज उसके कब्जे से बरामद किए गए थे।

दिल्ली पुलिस ने बिजली कंपनियों के लिए गोपनीय सरकारी दस्तावेज लीक करने के आरोप में तेल मंत्रालय के दो कनिष्ठ अधिकारियों और तीन अन्य बिचौलियों को 19 फरवरी को गिरफ्तार किया था।

इसी तरह, प्रमुख ऊर्जा कंपनियों के पांच वरिष्ठ अधिकारियों और दो ऊर्जा सलाहकारों को 20 फरवरी को गिरफ्तार किया गया था।

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जासूसी मामले में अपराध शाखा ने अब तक दो प्राथमिकियां दर्ज की हैं और कुल 16 लोग गिरफ्तार किए हैं।