यह ख़बर 23 अप्रैल, 2011 को प्रकाशित हुई थी

हलफनामे को मोदी ने किया नजरअंदाज

खास बातें

  • वर्ष 2002 के दंगों में मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की संलिप्तता बताने वाले पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी के हलफनामे को मोदी ने नजरअंदाज कर दिया।
गांधीनगर:

गुजरात के वर्ष 2002 के दंगों में मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की संलिप्तता बताने वाले पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी के हलफनामे को मोदी ने शनिवार को नजरअंदाज कर दिया। जबकि अधिकारी ने कहा कि उसने जो कहा है उस पर वह कायम रहेगा और इस मामले में वह आगे भी गवाही देने के लिए तैयार है। मोदी ने शनिवार को उत्तरी गुजरात पालनपुर के समीप एक उच्च आधिकारिक समारोह में शिरकत की लेकिन उन्होंने भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारी संजीव भट्ट द्वारा लगाए गए आरोपों पर कोई टिप्पणी नहीं की। जबकि पर्यटन मंत्री और सरकार के प्रवक्ता जयनारायन व्यास न्यायिक प्रक्रिया का हवाला दे इस मुद्दे पर टिप्पणी करने से बचते नजर आए। व्यास ने कहा, "हमें जो कुछ कहना था उसे हमने दंगों की जांच करने वाली सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित विशेष जांच दस्ते के समक्ष कह दिया।" भट्ट जो गुजरात दंगे के समय राज्य की खुफिया विभाग में तैनात थे उन्होंने अपने हलफानामे में साम्प्रदायिक हिसा के लिए मोदी को जिम्मेदार ठहराया है। हलफनामे में पुलिस अधिकारी ने कहा है कि 27 फरवरी 2002 को गोधरा में रेलगाड़ी के डिब्बे जलाए जाने और इस घटना में 59 कार सेवकों के मारे जाने पर मोदी मुस्लिमों को 'एक सबक' सिखाना चाहते थे। वह चाहते थे कि 'हिंदुओं को गुस्से का इजहार करने का मौका मिलना चाहिए।' पुलिस अधिकारी ने कहा, "वर्ष 2002 के साम्प्रदायिक दंगे की जांच करने वाले नानावती-मेहता न्यायिक जांच आयोग के विशेष जांच दस्ते (एसआईटी) के समक्ष मैंने गवाही दी है और जिस प्रक्रिया से मैं गुजरा हूं उसने मुझे सर्वोच्च न्यायालय में हलफनामा दाखिल करने के लिए तैयार किया। बाकी का काम मैं न्यायालय पर छोड़ता हूं।" उन्होंने कहा, "न्यायालय की तरफ से यदि मैं बुलाया जाता हूं तो मैं उसके समक्ष गवाही दूंगा।"


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