मोदी सरकार का एक साल पूरा : क्या अब भी 'नमो-नमो' कर रहा है काशी? जानिए लोगों की राय...

मोदी सरकार का एक साल पूरा : क्या अब भी 'नमो-नमो' कर रहा है काशी? जानिए लोगों की राय...

वाराणसी:

लगभग एक साल पहले की बात है। सांस्कृतिक नगरी वाराणसी के लोगों ने नरेंद्र मोदी को भारी मतों से जिता कर उनके प्रधानमंत्री बनने का रास्ता साफ किया था। वाराणसी में मोदी के समर्थन में सुनामी आई थी, जिसमें आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल सहित पूरा विपक्ष बह गया था।

लेकिन, आज एक साल बाद वही जोश जज्बा शहर में नहीं दिखता। मोदी के भक्त और धुर-विरोधी अपने-अपने रुख पर कायम हैं। आम लोग कहते हैं, उन्हें लगा था कि उनकी नगरी का कायाकल्प हो जाएगा, लेकिन उन्हें अफसोस है कि ऐसा कुछ नहीं हुआ।

वाराणसी के मिंट हाऊस रोड पर श्रीराम भंडार है। खाने की यह दुकान 200 साल पुरानी है। इसके मालिक सौरभ कहते हैं, 'लगा था कि ऐसा बदलेगा बनारस जैसे कि कभी नहीं बदला होगा। यातायात सुधरेगा, सड़कें चौड़ी होंगी और भी बहुत कुछ होगा। साल बीत गया, कुछ नहीं बदला।

इसी दुकान पर जलेबी खरीद रहे अविनाश ने सहमति में सिर हिलाया, लेकिन कहा कि भले ही बहुत कुछ न बदला हो लेकिन कम से कम मोदी ने सफाई जैसे मामलों पर मानसिकता तो बदली ही है।

सफाई की इस बात से स्वामी अद्युतानंद ने भी सहमति जताई। गंगा के राजेंद्र प्रसाद घाट पर लगे पर्यावरण अनुकूल कूड़ेदान की तरफ इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि पहले यह जगह इतनी साफ नहीं हुआ करती थी।

छोटे व्यापारी आनंद श्रीवास्तव की लहुराबीर पर दुकान है। कहते हैं कि बिजली की दशा सुधरी है। रोड का काम भी हो रहा है। लेकिन बनारसियों के दिल में जगह बनाने के लिए मोदी को अधिक तेज और अधिक काम करना होगा।
 
गोदौलिया पर फूल बेचने वाली अंबा की चिंता महंगाई को लेकर है। उन्होंने कहा, 'मोदी बाबू महंगाई तो कम नहीं कर सकिन, अउर सब ठीक ही बा।' मतलब मोदी बाबू महंगाई नहीं घटा सके, बाकी सब ठीक ही है।

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रामनगर में गोलगप्पे बेचने वाले अशफाक मोदी से खुश दिखे। उन्होंने कहा कि कम से कम शांति तो है। बातों का असर लंबी अवधि में देखना चाहिए।
 
80 वर्षीय बुजुर्ग और अवकाश प्राप्त सरकारी अफसर कैलाश पांडे ने शहर के मूड को एक लाइन में साफ किया। कहा, 'मोदी सरकार-थोड़ी अच्छी, थोड़ी बेकार।'