यह ख़बर 27 नवंबर, 2014 को प्रकाशित हुई थी

पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में हजारों डुप्लीकेट वोटरों की हुई पहचान

वाराणसी के आठ विधानसभा क्षेत्रों में वोटर लिस्टों का सत्यापन किया जा रहा है

वाराणसी:

लोकसभा चुनाव के वक्त वोटर बनाने की कवायद देश भर में बड़े पैमाने पर हुई। इसमें कई लाख नए वोटरों के नाम जुड़े और उन्होंने अपने मतों का प्रयोग भी किया।

अब चुनाव के बाद इलेक्शन कमीशन वोटर लिस्ट को दुरुस्त करने की नई मुहिम में जुट गया है। इसके लिए एक सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिसके जरिये डुप्लीकेट वोटरों की जानकारी सामने आ रही है।

इस लिस्ट को चुनाव आयोग संबंधित जिलों में भेजकर उसका सत्यापन करा रहा है। इस कड़ी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में 80% सत्यापन के बाद करीब 23,664 डुप्लीकेट नाम पाए गए हैं, जिनको वोटर लिस्ट से हटाया जाएगा।

वाराणसी के सहायक जिला निर्वाचन अधिकारी ने डुप्लीकेशन लिस्ट के जरिये हमें ये समझाने की कोशिश की कि इन दिनों चुनाव आयोग वोटर लिस्ट को दुरुस्त करने की कौन सी कार्रवाई कर रहा है। यह पूरी कार्रवाई डुप्लीकेट वोटरों को छांटने से जुड़ी है, जिसमें इस बात का सत्यापन किया जा रहा है कि कितने वोटर ऐसे हैं, जिनके नाम दो जगहों पर है।

वाराणसी के जिलाधिकारी प्रांजल यादव ने बताया कि इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया द्वारा देश भर के जिलों में डुप्लीकेशन एक्सरसाइज को चेक करने की मुहिम जारी है। कई जगहों पर इलेक्टोरल लिस्ट (मतदाता सूची) में दो जगह नाम दर्ज हो जाते हैं, एक डिस्ट्रिक्ट में नाम पहले से है और दूसरे जगह भी नाम हो जाते हैं, उनको हटाने के लिए ये एक्सरसाइज किए जा रहे हैं।

वाराणसी के पिण्डरा, अजगरा, रोहनिया, सेवापुरी, शिवपुर, वाराणसी उत्तरी, वाराणसी दक्षिणी, वाराणसी कैण्ट के कुल आठ विधानसभा क्षेत्रों में बीएलओ के जरिये ऐसी लिस्टों का सत्यापन कराया जा रहा है।

इस सत्यापन के लिए चुनाव आयोग ने एक नया सॉफ्टवेयर तैयार किया है, जिसके जरिये वाराणसी जिले के इन विधानसभा क्षेत्रों में लाखों में डुप्लीकेट वोटरों की एक लंबी-चौड़ी लिस्ट भेजी गई। इस लिस्ट का अब तक 80 फीसदी सत्यापन कराया जा चुका है, जिसमें 23,664 मतदाता डुप्लीकेट पाए गए।  

वाराणसी के डीएम प्रांजल यादव ने बताया कि भारतीय चुनाव आयोग हर साल इलेक्टोरल रोल इम्प्रूवड करने के लिए कुछ न कुछ करते हैं। एक नया सॉफ्टवेयर डिजाइन हुआ है, जिसके जरिये डुप्लीकेट वोटर इस तरह आइडेंटिफाई होकर हर जिले में आए हैं। वाराणसी में 23,600 नाम ऐसे पाए गए हैं, जो अब यहां नहीं रहते हैं। उनके नाम हम हटा देंगे, तो हमारा इलेक्टोरल रोल और इम्प्रूव हो जाएगा।

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गौरतलब है कि वोटर बनाने की जब भी मुहिम चलती है, तो बड़े पैमाने पर एक जिले से दूसरे जिले में आ गए लोग अपना नाम वोटर लिस्ट में डलवा तो लेते हैं, लेकिन अपनी मूल जगह के वोटर लिस्ट से नाम नहीं कटवाते, जिसकी वजह से बड़ी संख्या में डुप्लीकेट वोटर रह जाते हैं।

इन्हीं वोटरों को चिन्हित करने की यह कवायद है, लेकिन नया सॉफ्टवेयर ऐसे सभी नामों को चिन्हित कर लेगा, यह कहना बड़ा मुश्किल है, क्योंकि एक नाम के कई व्यक्ति हो सकते हैं। ऐसे में कंप्यूटर उनके पिता या पति के नाम से पकड़ेगा, लेकिन किसी लिस्ट में पिता का पूरा नाम लिखा है और किसी लिस्ट में उसका शॉर्ट फॉर्म है, तो कंप्यूटर इस अंतर को शायद ही पकड़ पाए, फिर भी यह वोटर लिस्ट दुरुस्त करने की सार्थक पहल हो सकती है।