यह ख़बर 17 दिसंबर, 2011 को प्रकाशित हुई थी

मुल्लापेरियार पर चिदम्बरम के बयान से केरल में उबाल

खास बातें

  • मुल्लापेरियार बांध के मुद्दे पर गृह मंत्री चिदम्बरम के बयान से नाराज केरल के राजनीतिक नेताओं ने पार्टी से सम्बंध का ख्याल किए बिना उनकी निंदा की।
तिरुवनंतपुरम:

मुल्लापेरियार बांध के मुद्दे पर केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदम्बरम के बयान से नाराज केरल के राजनीतिक नेताओं ने पार्टी से सम्बंध का ख्याल किए बिना उनकी निंदा की। राज्य के जल संसाधन मंत्री पीजे जोसफ ने मांग की कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह चिदम्बरम को बर्खास्त करें, क्योंकि उन्होंने अपने पद की गोपनीयता भंग की है। जोसफ ने कहा, "चिदम्बरम ने संवेदनहीन बयान दिया है और यदि उनकी भावना ऐसी है तो मुझे आश्चर्य हो रहा है। एक केंद्रीय मंत्री ऐसा बयान कैसे दे सकते हैं जब मुल्लापेरियार बांध के चारों तरफ पांच जिलों के 40 लाख से अधिक लोगों का जीवन खतरे में हो। इसका अर्थ यह है कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) रुड़की और दिल्ली के वैज्ञानिकों ने रिस रहे बांध की स्थिति पर सही रिपोर्ट नहीं दी है। यह बहुत ही खेदजनक है।" गौरतलब है कि चिदम्बरम ने चेन्नई में एक जनसभा को सम्बोधित करते हुए कहा है कि केरल सरकार मुल्लापेरियार बांध के मुद्दे को इसलिए तूल दे रहा है, क्योंकि उसकी नजर आगामी उपचुनावों पर है। उपचुनाव सम्पन्न होते ही यह समस्या भी खत्म हो जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि सर्वोच्च न्यायालय का फैसला अगले वर्ष फरवरी में आएगा और इसमें कोई संदेह नहीं कि फैसला तमिलनाडु के पक्ष में होगा। वरिष्ठ कांग्रेस नेता वीएम सुधीरन ने भी चिदम्बरम के बयान पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा, "मुझे पूरा यकीन है कि यह कांग्रेस पार्टी का बयान नहीं है। मुझे बताया गया कि जिस जनसभा में चिदम्बरम ने भाग लिया, उसमें कई अन्य केंद्रीय मंत्रियों ने भी भाग लिया, लेकिन किसी ने ऐसा बयान नहीं दिया। यह बयान स्वीकार्य नहीं है।" राजस्व मंत्री और कांग्रेस नेता तिरुवनचूर राधाकृष्णन ने कहा कि चिदम्बरम का बयान शिवगंगा के सांसद का बयान लगता है, एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता के बयान जैसा नहीं। राज्य के पूर्व गृह मंत्री और मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के पोलितब्यूरो सदस्य कोडियरि बालाकृष्णन ने कहा कि एक केंद्रीय मंत्री द्वारा दिया गया यह बयान दुर्भायपूर्ण है। उन्होंने कहा कि चिदम्बरम का यह बयान मुख्यमंत्री ओमन चांडी और विपक्ष के नेता वी.एस. अच्युतानंदन के नेतृत्व में दिल्ली गए प्रतिनिधिमंडल को प्रधानमंत्री द्वारा दिए गए आश्वासन की भावना के विपरीत है।


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