मुंबई पुलिस की नई पहल, कांस्टेबल से कमिश्नर तक की हो रही मानसिक जांच

प्रतीकात्मक चित्र

मुंबई:

बलात्कार, खुदकुशी और हत्या जैसे आरोपों में घिरी मुंबई पुलिस ने इससे उबरने के लिए अब अपने सभी कर्मियों की व्यक्तिगत जानकारी मंगावाना शुरू कर दिया है। पुलिस को उम्मीद है कि इससे वो अपने भीतर छिपे बीमार पुलिस वालों की पहचान कर उनका इलाज कर सकेगी।

काम के तनाव से जूझ रही मुंबई पुलिस में बीमारी से मरने वालों का सालाना औसत 150 के करीब है। लेकिन हाल फ़िलहाल में हुई मुंबई पुलिस को शर्मसार करने वाली कुछ घटनाओं ने पुलिस को सोचने पर मजबूर कर दिया है। जैसे-
- वकोला पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक की उसी पुलिस थाने के एएसआई द्वारा गोली मार कर हत्या  और फिर खुदकुशी।
- साकीनाका पुलिस स्टेशन के अफसरों की लूट और बलात्कार के आरोप में गिरफ्तारी।
- पुलिसवालों में बढ़ रहे ख़ुदकुशी के आंकड़े।
 
दिन-प्रतिदिन बढ़ रही इस तरह की वारदातों से परेशान मुंबई पुलिस ने अब इससे निपटने के लिए एक नायाब तरीका निकाला है। मुंबई पुलिस के सिपाही से लेकर पुलिस आयुक्त तक सभी आजकल फॉर्म भरने में लगे हैं। जिसमें पुलिसवालों को अपनी निजी जिंदगी से जुड़े सवालों के हां या ना में जवाब देना है। ज्यादातर सवाल शराब, सेक्स और तनाव से जुड़े हैं। यह सभी सवाल फॉर्म नंबर-3 के सेट में है, जिसमें इसी प्रकार के कुल 68 सवाल पूछे गए हैं।

मुंबई पुलिस के कानून और व्यवस्था संयुक्त आयुक्त देवेन भारती के मुताबिक यह कोशिश अपने कर्मियों की मानसिक स्थिति का पता लगाने और फिर समय रहते उसका इलाज करने से संबंधित है। सवालों का सेट शहर के जाने- माने मनोचिकित्सकों ने तैयार किया है।
 
उन्होंने इस फॉर्म में यह भी साफ किया है कि फॉर्म में भरी गई जानकारी का पुलिसकर्मियों की नौकरी या उनकी पदोन्नति पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। पूरी जानकारी गुप्त रखी जाएगी, इसलिए हमारी अपील है कि सभी पुलिसकर्मी सभी सवालों का सही जवाब दें।

पुलिस ने इसके लिए मनोचिकित्सकों की अलग-अलग टीम बनाई है, जो इन जानकारियों की समीक्षा भी करेगी और जरूरत पड़ने पर संबंधित पुलिस वालों की काउंसलिंग भी करेगी। मशहूर मनोचिकित्सक डॉक्टर यूसुफ माचीसवाला के मुताबिक, हमने खास पुलिस वालों के लिए 'स्ट्रेस मैनेजमेंट' का कार्यक्रम तैयार किया है।

तकरीबन 50 हजार की मुंबई पुलिस फ़ोर्स में आजकल इस फॉर्म की खूब चर्चा है। इस पहल की तारीफ भी हो रही है, लेकिन पूछे गए सवालों पर सवाल उठाने वाले भी कुछ पुलिस वाले ही हैं।

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उनका कहना है कि हमसे जुड़े सवालों के साथ अगर महकमे में व्याप्त समस्याओं और बुराईयों पर भी कुछ सवाल होते तो बेहतर होता।