खास बातें
- मुंबई में अब झपटमारों की खैर नहीं, क्योंकि मुंबई पुलिस अब उनके खिलाफ मकोका जैसा गंभीर कानून लगाने की कवायद में जुट गई है।
मुंबई: मुंबई में अब झपटमारों की खैर नहीं, क्योंकि मुंबई पुलिस अब उनके खिलाफ मकोका जैसा गंभीर कानून लगाने की कवायद में जुट गई है।
मकोका यानि महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गानाइज़ड क्राइम एक्ट. जिसका इस्तेमाल संगठित अपराधियों खासकर मुंबई के अंडरवर्ल्ड और आतंकियों के खिलाफ किया जाता है लेकिन, अब झपटमारों यानि चेन चोरों के खिलाफ भी किया जाएगा।
मुंबई में आए दिन महिलाओं के गले से चेन छीनने की घटनाएं होती हैं, सोने की लगातार बढ़ रही कीमत के बाद तो चेन छीनने की वारदातों में बेतहासा इजाफ़ा हुआ है।
एक जानकारी के मुताबिक साल 2008 से फ़रवरी 2012 तक झपटमारी के सात हजार 20 मामले दर्ज हुए हैं। ऐसा नहीं है कि मुंबई पुलिस झपटमारों को पकड़ नहीं पा रही है। पुलिस झपटमारों को पकड़ कर उन्हें सलाखों के पीछे भेजती रहती है लेकिन, जमानत पर छूट कर वे फिर से सक्रिय हो जाते हैं इसलिए पुलिस अब चेन छीनने वालों पर भी मकोका लगाने पर गंभीरता से सोच रही है।
किसी मामले पर मकोका लगने का मतलब होता है, आरोपी की मुसीबत। क्योंकि सामान्य कानून में जमानत पाना आरोपी का अधिकार होता है और जेल अपवाद। जबकि मकोका में जेल जरूरी है और जमानत अपवाद।
मशहूर वकील मजीद मेमन के मुताबिक आम कानून में आरोपियों को 15 दिन की पुलिस हिरासत मिलती है, लेकिन मकोका में ३० दिन की पुलिस हिरासत मिलती है।
इसी तरह पुलिस को आरोपपत्र दायर करने के लिए भी 90 दिन की बजाए 180 दिन मिलता है। इतना ही नहीं मकोका के तहत लिया गया आरोपी का इकबालिया बयान अदालत में सबूत के तौर पर इस्तेमाल हो सकता है।
ये इतना भी आसान नहीं क्योंकि मकोका कानून सभी आरोपियों पर लगाया नहीं जा सकता। इसके लिए जरूरी है कि मामले में गिरफ्तार आरोपियों में से किसी एक पर 10 साल के भीतर दो आरोपपत्र दायर हो, साथ ही गैंग बनाकर अपराध करते हों।
मुंबई पुलिस उपायुक्त और प्रवक्ता निसार तम्बोली मुंबई पुलिस की इस नई कवायद पर बोलने से तो बचते दिखे लेकिन, इतना जरूर माना कि पुलिस हर उस अपराधी पर मकोका लगाएगी जो गिरोह बनाकर अपराध करते हैं और मकोका कानून की श्रेणी में आते हैं।
वैसे मुंबई पुलिस के इस इरादे को आसानी से समझा जा सकता है। क्योंकि जो मुंबई पुलिस पहले अपनी प्रेस विज्ञप्ति में चेन छीनने वालों के लिए 'सोन-साखली चोरी' शीर्षक का इस्तेमाल करती थी, अब वह 'जबरन चोरी' का इस्तेमाल करने लगी है।