यह ख़बर 14 अगस्त, 2012 को प्रकाशित हुई थी

संसद में मंगलवार को हुआ कुछ हंगामा और थोड़ी चर्चा

खास बातें

  • संसद में मंगलवार को असम व मुम्बई हिंसा और काले धन को लेकर जहां हंगामा हुआ और वहीं नक्सल समस्या पर चर्चा भी हुई और अमरनाथ यात्रा का मुद्दा भी गम्भीरता से उठा। लेकिन दिन की कार्यवाही का समापन उस दुखद समाचार से हुआ जिसमें केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत
नई दिल्ली:

संसद में मंगलवार को असम व मुम्बई हिंसा और काले धन को लेकर जहां हंगामा हुआ और वहीं नक्सल समस्या पर चर्चा भी हुई और अमरनाथ यात्रा का मुद्दा भी गम्भीरता से उठा। लेकिन दिन की कार्यवाही का समापन उस दुखद समाचार से हुआ जिसमें केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री के निधन की सूचना आई।

राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के सदस्यों ने असम हिंसा और मुम्बई में उसकी अनुगूंज तथा विदेशी बैंकों में जमा काले धन को वापस लाने के मुद्दे को लेकर लोकसभा की कार्यवाही में बाधा पहुंचाई, जिसके कारण सदन की कार्यवाही बाधित हुई।

लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने उस समय सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी, जब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व में राजग सदस्यों ने सदन की कार्यवाही नहीं चलने दी और वे अध्यक्ष के आसन के पास पहुंच गए।

राजग सहयोगी शिवसेना ने केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे से मुम्बई हिंसा पर बयान की मांग की, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई थी और 50 से अधिक लोग घायल हो गए थे। भाजपा ने बाबा रामदेव के अनिश्चितकालीन अनशन का समर्थन किया और काले धन का मुद्दा उठाया।

हंगामे के बीच मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के सदस्य सदन के बीचों-बीच पहुंच गए और खाद्य सुरक्षा विधेयक को सदन में पेश करने की मांग करने लगे।

असम हिंसा के विरोध में आयोजित एक रैली के दौरान मुम्बई में भड़की हिंसा का मुद्दा राज्यसभा में भी उठा। भाजपा ने इस विरोध प्रदर्शन के पीछे की मानसिकता पर सवाल उठाया।

भाजपा नेता बलबीर पुंज ने पूछा, "उनकी सहानुभूति अवैध प्रवासियों के प्रति है, असम के बोडो भाइयों के प्रति नहीं।

बांग्लादेशियों के साथ उनका क्या रिश्ता है, यदि बांग्लादेश में रोहिंगया मुसलमानों के खिलाफ जुल्म हो रहे हैं तो इसमें भारत की क्या गलती है।"

पुंज ने कहा, "यह विरोध प्रदर्शन के पीछे की मानसिकता पर एक सवाल खड़े करता है।"

शिव सेना नेता संजय राउत ने भी मुम्बई हिंसा पर चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि शहर का जीवन दो दिनों तक प्रभावित रहा। उन्होंने आरोप लगाया कि अमर जवान ज्योति स्मारक पर जूते फेंके गए।

इसके बाद विपक्षी सदस्य विरोध प्रदर्शन करने लगे और उन्होंने इस पर सरकार से जवाब मांगा।

उपसभापति पीजे कुरियन ने विपक्ष से नोटिस देने के लिए कहा। लेकिन वे तत्काल सरकार से जवाब की मांग पर अड़े रहे। हंगामे के बीच सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित कर दी गई।

बाद में केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने सदन को आश्वस्त किया कि सरकार इस मुद्दे पर बहस के लिए तैयार है। इसके बाद सदस्य शांत हो गए।

इस बीच कार्यवाही जब सुचारू हुई तो लोकसभा ने नक्सली हिंसा में वृद्धि की निंदा की और इस बुराई को राष्ट्रीय समस्या बताया। सांसदों ने नक्सलियों से अपील की कि वे हिंसा त्यागकर राष्ट्र की मुख्यधारा में शामिल हों।

मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के सदस्य बासुदेब आचार्य ने देश में नक्सली गतिविधियों में वृद्धि पर बहस की शुरुआत की और कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों को संयुक्त रूप से इससे निपटना होगा।

आचार्य ने सरकार से आग्रह किया कि इस मुद्दे से लम्बी अवधि के लिए निपटने के लिए जनजातीय इलाकों में भूमि सुधार को बढ़ावा दिया जाए, जहां 90 प्रतिशत लोग गरीब हैं। उन्होंने कहा, "यह एक राष्ट्रीय समस्या है।"

कांग्रेस सदस्य भक्त चरण दास ने नक्सलियों से राष्ट्र की मुख्यधारा में शामिल होने और गरीब जनजातियों की बेहतरी के लिए काम करने की अपील की। उन्होंने कहा कि सरकर को वन अधिकार अधिनियम को पूरी तरह लागू करना चाहिए, ताकि जनजातीय लोग सशक्त हों और स्वार्थी तत्वों द्वारा उनका शोषण बंद हो। दास ने कहा, "इस समस्या का समाधान कोई आसान नहीं है।"

भाजपा की सरोज पांडे ने कहा कि किसी को भी लाशों पर राजनीति नहीं करनी चाहिए। उन्होंने कहा, "मृत्यु चाहे किसी पुलिसकर्मी की हो या किसी जनजाति की, पीड़ादायक है।"

बीजू जनता दल (बीजद) सदस्य भर्तृहरि महताब ने कहा कि सरकार को जनजातीय इलाकों में विकास को बढ़ावा देना चाहिए, क्योंकि नक्सली विकास के अभाव का फायदा उठाते हैं।

राज्यसभा में अमरनाथ यात्रा से जुड़े मुद्दे की गम्भीरता भी देखने को मिली। भाजपा ने मांग की कि केंद्र सरकार अमरनाथ यात्रा की समय सीमा बढ़ाए और तीर्थयात्रियों को दी जाने वाली सुविधाओं में वृद्धि करे।

राज्यसभा में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के दौरान स्पष्टीकरण की मांग करते हुए नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली ने सरकार पर इन वर्षो के दौरान यात्रा अवधि घटाने का आरोप लगाया।

जेटली ने कहा, "हर वर्ष यात्रा की अवधि घटाई जा रही है, और तीर्थ यात्रियों की संख्या बढ़ती जा रही है।"

जेटली ने कहा कि 1950 के दशक में अमरनाथ यात्रा चार महीने की थी। उन्होंने कहा, "2009 में यह 60 दिनों की थी, 2010 में यह 55 दिनों की हुई, 2011 में इसे 45 दिनों का किया गया और 2012 में 39 दिनों की यात्रा हुई।"

केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने हालांकि कहा कि यात्रा की शुरुआत बर्फ पिघलने के समय पर निर्भर करती है और यह रक्षा बंधन के दिन समाप्त होती है।

शिंदे ने कहा, "यात्रा की शुरुआत उस तारीख से तय होती है, जब यात्रा मार्ग से बर्फ साफ कर लिया जाता है। यात्रा मार्ग जून
अंत तक या जुलाई के पहले दिन तक साफ कर लिया जाता है। इस वर्ष यह 25 जून को शुरू हुई। इन प्रत्येक अवसरों पर.. यात्रा रक्षा बंधन के दिन समाप्त होती है।"

जेटली ने हालांकि कहा कि हिमालय में 22,000 फुट की ऊंचाई पर होने वाली एक अन्य तीर्थयात्रा, कैलाश-मानसरोवर यात्रा अमरनाथ यात्रा से बहुत पहले ही शुरू होती है। जबकि अमरनाथ यात्रा लगभग 13,000 फुट की ही ऊंचाई पर है।

जेटली ने कहा, "आधिकारिक तौर पर आपने यह तर्क दिया है कि अमरनाथ यात्रा जुलाई से पहले नहीं शुरू हो सकती।"

जेटली ने अमरनाथ यात्रियों को कथितरूप से पर्याप्त सुविधाएं न मुहैया कराने के लिए भी सरकार की आलोचना की। उन्होंने मांग की कि प्रशासन राज्य सरकार से जमीन पट्टे पर लेकर स्थायी सुविधाएं तैयार करे।

मंगलवार को संसद के दोनों सदनों जिसमें की कार्यवाही का समापन उस दुखद समाचार से हुआ जिसमें देशमुख के निधन की सूचना आई। राज्यसभा में उस वक्त भ्रष्टाचार उजागर करने वालों को सुरक्षा देने से सम्बंधित विधेयक पर चर्चा हो रही थी। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता तारिक अनवर उस समय कार्यवाही का संचालन कर रहे थे।

लोकसभा में पीठासीन अधिकारी पी. सी. चाको ने देशमुख के निधन की सूचना दी, जो कांग्रेस के सांसद हैं। सदन में उस वक्त नक्सल हिंसा पर चर्चा हो रही थी।

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com

देशमुख (67) का चेन्नई के एक अस्पताल में इलाज चल रहा था। उनका गुर्दा एवं लीवर प्रत्यारोपण किया जाना था।