यह ख़बर 08 फ़रवरी, 2011 को प्रकाशित हुई थी

एमएनएस की पैरवी पर शिवसेना मुंडे से ख़फ़ा

खास बातें

  • मुंडे अब खुलकर बोल रहे हैं कि महाराष्ट्र में सत्ता तब तक दूर नज़र आती है जब तक शिवसेना−भाजपा−एमएनएस एकसाथ न आ जाएं।
मुंबई:

पांच साल पुरानी एमएनएस 22 साल पुराने गठबंधन को कमज़ोर कर रही है। भाजपा के वरिष्ठ नेता गोपीनाथ मुंडे अब खुलकर बोल रहे हैं कि महाराष्ट्र में सत्ता तब तक दूर नज़र आती है जब तक शिवसेना−भाजपा−एमएनएस एकसाथ न आ जाएं। इससे शिवसेना नाराज़ हो गई है। एमएनएस ने भाजपा नेता गोपीनाथ मुंडे की भतीजी पूनम महाजन को चुनावों में पटखनी दी थी। राज की पार्टी ने सब से ज्यादा नुकसान भाजपा को ही पहुंचाया है। लेकिन सियासी मजबूरी के चलते भाजपा के नेता राज से हाथ मिलाने को बेचैन नजर आ रहे हैं। मुंडे के सियासी पत्तों पर एमएनएस शायद अपनी चाल पुख्ता करने में लगी है। एमएनएस के प्रवक्ता शिरीष पारकर ने कहा, 'मुंडे को सत्ता चाहिए इसलिए हमारी मदद की याद आई है। जब हम मराठी का आंदोलन छेड़ रहे थे तब भाजपा ने अपनी ताक़त हमारे पीछे क्यों खड़ी नहीं की। जानकार कर रहे हैं कि भाजपा का गेम उलटा होता जा रहा है। पहले सोचा था कि राज के जाने से उद्धव कमजोर पड़ेंगे और भाजपा मजबूत होगी।शिवसेना परेशान तो हुई लेकिन राज भाजपा के वोट काटने लगे। सवाल उठ रहा है कि क्षेत्रीय पार्टियों के सिर पर सवार भाजपा को क्या अब लगने लगा है कि शिवसेना के साथ आगे नहीं जाया जा सकता या फिर राज ही शिवसेना का विकल्प है। 


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