नगा समझौते को लेकर सवालों में उलझे मुइवा, जवाब देने के लिए जाएंगे दीमापुर

नगा समझौते को लेकर सवालों में उलझे मुइवा, जवाब देने के लिए जाएंगे दीमापुर

प्रतीकात्मक फोटो

नई दिल्ली:

केंद्र सरकार ने NSCN (IM) के नेता टी मुइवा के साथ समझौते पर दस्तखत तो कर लिए लेकिन नगालैंड मे इस समझौते को लेकर वहां के लोग कई सवाल खड़े कर रहे हैं और उन सवालो का जवाब देने खुद मुइवा दीमापुर जा रहे हैं।

दरअसल हाल में हुए जिस नगा समझौते को प्रधानमंत्री मोदी और नगा नेता टी मुइवा ने ऐतिहासिक बताया, उस पर अब सवाल खड़े हो रहे हैं। इन सवालों के जवाब के लिए टी मुइवा बुधवार को दीमापुर में एक जनसभा करने वाले हैं। इस मीटिंग को लेकर 2200 किलोमीटर दूर दिल्ली में खलबली मची हुई है। एनडीटीवी इंडिया को मिली जानकारी के मुताबिक अब मुइवा दबाव में हैं।

नगालैंड की नाराज जनजातियां पूछ रही हैं कि इस समझौते का हासिल क्या है? नगालैंड होहो नाम के गुट ने एक बयान जारी कर पूछा है कि यह शिलांग समझौते से अलग कैसे है? खपलांग गुट की बढ़ती लोकप्रियता भी दिल्ली की चिंता का विषय है।

अब गृह मंत्रालय कह रहा है कि यह समझौता एग्रीमेंट टू ऐग्री (सहमत होने का समझौता) है। इस पर जो सहमति मुइवा ने दिखाई है, वह बाकी जगह नजर नहीं आ रही है। खुद मुइवा की सुरक्षा पर सवाल हैं, जबकि उन्हें जेड प्लस सिक्युरिटी मिली हुई है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्य सरकार से उन्हें सुरक्षा देने को कहा है।

14 अगस्त को एनएससीएन आइएम अपने मुख्यालय में अपना स्वतंत्रता दिवस मनाने में जुटा है। मुइवा इसी दिन समझौते का एलान कर सकते हैं। मगर केंद्र के सामने ये सवाल है कि NSCN (IM) के शिविरों को कैसे खत्म किया जाए? हथियारबंद कैडर से हथियार कैसे लिए जाएं और एनएससीएन ने जो समांतर सरकार चला रखी है, उसे कैसे रोका जाए?

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अब यह भी पूछा जा रहा है कि क्या सिर्फ मुइवा के साथ मिलकर समझौते के एलान में केंद्र सरकार ने कुछ जल्दबाजी दिखा दी? मुइवा तनखुल जनजाति के हैं जबकि आइज़क सुमि हैं। मुइवा को जिस तरह पेश किया गया है, उससे दूसरे स्थानीय नेता नाराज भी हैं।