एक अफसर की फाइल रोकी, पर मोदी सरकार ने 14 अफसरों के लिए की नियमों की अनदेखी

नई दिल्ली:

देश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में भ्रष्टाचार के कई मामले उजागर करने वाले एम्स के पूर्व सीवीओ संजीव चतुर्वेदी की फाइल भले ही पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने पिछले एक महीने से अपने पास रोक रखी हो, लेकिन एनडीए सरकार ने इसी दौर में एक दर्जन से अधिक तबादलों के लिए सारे नियम कानून ताक पर रखे हैं। एनडीटीवी इंडिया के पास जो दस्तावेज़ हैं वह बताते हैं कि केंद्र में एनडीए सरकार बनने के बाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट कमेटी ऑफ अपाइंटमेंट ने कुल 29 में से 14 ऐसे तबादलों को मंज़ूरी दी, जिसके लिए उसे नियमों की अनदेखी करनी पड़ी।

एम्स के पूर्व सीवीओ और 2002 बैच के भारतीय वन सेवा के अधिकारी संजीव चतुर्वेदी को दिल्ली सरकार ने मुख्यमंत्री के ओएसडी के तौर पर मांगा था, लेकिन केंद्र सरकार ने उनकी फाइल रोककर रखी हुई है। उधर दूसरे मामले में केंद्र ने चतुर्वेदी की हरियाणा से काडर बदल कर उत्तराखंड किए जाने की याचिका भी दोबारा विचार को लिए वापस राज्य सरकार को भेजने को कहा है, जिससे उनके काडर बदलाव की कार्यवाही रुक गई है। अब चतुर्वेदी ने कैबिनेट सचिवालय और पर्यावरण मंत्रालय के खिलाफ सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल यानी कैट में मुकदमा कर दिया है। कैट ने चतुर्वेदी की काडर बदलाव की प्रक्रिया रोके जाने पर सवाल भी खड़े किए हैं।

एनडीटीवी इंडिया ने आपको सबसे पहले बताया कि किस तरह चतुर्वेदी को दिल्ली सरकार में भेजे जाने की फाइल पिछली 2 मार्च से पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के पास है, लेकिन उस पर कोई कार्यवाही नहीं हो रही। हमने पर्यावरण मंत्री को इस बारे में सवाल भेजे, लेकिन उनका कोई जवाब नहीं आया है। मंगलवार को प्रकाश जावड़ेकर ने इस पर एनडीटीवी की ओर से एक प्रेस कांफ्रेंस में पूछे गए सवाल के जवाब में कहा कि फाइल की प्रगति कैसी है इस पर वह कोई रनिंग कॉमेंट्री नहीं दे सकते। ये गौरतलब है कि जिन दूसरे अफसरों को दिल्ली सरकार ने अपनी सेवा के लिए मांगा था, उन्हें तुरंत रिलीव कर दिया गया।

फाइल पर कुंडली मारकर बैठे हैं जावड़ेकर

एनडीटीवी इंडिया को जो दस्तावेज़ मिले हैं वो साफ बताते हैं कि केंद्र सरकार ने कई अफसरों का काडर डेप्युटेशन (थोड़े वक्त के लिए गृह राज्य से बाहर भेजे जाने की अनुमति) करते वक्त सरकार की अपनी नीति की अनदेखी की है। नई सरकार बनने के बाद से अब तक कम से कम 29 मामले सरकार के सामने आए लेकिन मोदी सरकार ने इनमें से 14 मामलों में ‘गाइडलाइन में छूट’ देते हुए काडर डेप्युटेशन को मंज़ूरी दी है।

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ऐसे में सवाल ये उठ रहा है कि संजीव चतुर्वेदी की फाइल किस आधार पर रोकी गई है। गौरतलब है कि चतुर्वेदी को दिल्ली आने से पहले उनके गृहराज्य हरियाणा में भी जमकर प्रताड़ित किया गया, जिसके बाद उन्होंने अपनी जान को खतरा बताते हुए अपना काडर हमेशा के लिए बदलकर उत्तराखंड करने की अर्ज़ी दी थी। केंद्र सरकार ने न केवल उनके काडर में इस स्थाई बदलाव की प्रक्रिया को लटका दिया है, बल्कि उन्हें दिल्ली सरकार में तबादला देने से भी रोका गया है।