यह ख़बर 19 जनवरी, 2014 को प्रकाशित हुई थी

बेटे की राजनीतिक बलि नहीं देना चाहतीं सोनिया : नरेंद्र मोदी

नई दिल्ली:

लोकसभा चुनाव के मोड में आए भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने आज कांग्रेस और गांधी परिवार पर खुला हमला बोलते हुए पिछड़ी जाति और गरीबी के कार्ड को आगे बढ़ाया और कहा कि कांग्रेस ने राहुल गांधी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार इसलिए घोषित नहीं किया, क्योंकि इस कुलीन वर्ग को उन जैसी पिछड़ी जाति और चाय बेचने वाले के सामने मैदान में उतरने में शर्म महसूस होती है।

मोदी ने अत्यंत आक्रामक तेवर अपनाते हुए यह भी कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने राहुल को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार इसलिए नहीं बनने दिया, क्योंकि मां के रूप में वह अपने बेटे की राजनीतिक बलि के लिए तैयार नहीं थी।

मोदी ने राहुल का मजाक उड़ाते हुए कहा कि कांग्रेस के कार्यकर्ता बड़ी आशा के साथ दिल्ली आए थे। उन्हें बताया गया था कि 17 तारीख को पीएम पद के उम्मीदवार की घोषणा की जाएगी। देश भर के कांग्रेस कार्यकर्ता आए तो थे पीएम लेने, लेकिन वापस लेकर गए गैस सिलेंडर।

भाजपा की दो दिवसीय राष्ट्रीय परिषद की बैठक को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा, राहुल गांधी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार नहीं बनाए जाने के मुझे दो कारण दिखाई दे रहे हैं। राजनीतिक कारण तो हैं ही, लेकिन इसके साथ एक मानवीय कारण भी है। जब लोकसभा चुनाव में पराजय निश्चित दिख रही है और विनाश सामने नजर आ रहा है तो कोई मां अपने बेटे की राजनीतिक बलि चढ़ाने के लिए तैयार नहीं होती है। तो मां का यही निर्णय रहा .. मेरे बेटे को बचाओ। उन्होंने अपनी पिछड़ी जाति के कार्ड को आगे बढ़ाते हुए कहा कि राहुल को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार नहीं बनाने के पीछे एक कारण यह भी है क्योंकि वह उच्च कुल में पैदा हुए हैं और कुलीन लोगों में एक भय यह भी है कि उनके सामने जो उम्मीदवार है, वह पिछड़ी जाति में पैदा हुआ है।

मोदी ने कहा, प्रधानमंत्री पद की दौड़ से भागने का और भी कारण है, वह यह है कि जिस परंपरा में वह पले बढ़े हैं और जिस परिवार के हैं और जिस तरह वह जीते हैं, उनके मन की रचना भी सामंतशाही होती है। वह किसी चाय वाले से भिड़ना पसंद नहीं करेंगे। उन्होंने कटाक्ष किया, वे नामदार हैं, मैं कामदार हूं। ऊंच नीच का मामला है।
 
कांग्रेस की ओर से लोकसभा चुनाव परिणाम से पहले प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित नहीं किए जाने की ‘परंपरा’ की दलील की चीर फाड़ करते हुए मोदी ने सवाल किया कि 1947 में भारत जब आजाद हुआ तो कांग्रेस की यह कथित परंपरा कहां चली गई थी? उन्होंने कहा कि पूरी कांग्रेस एक स्वर में सरदार वल्लभभाई पटेल को प्रधानमंत्री चाहती थी, लेकिन वह कौन-सी परंपरा थी, जिसने पटेल को प्रधानमंत्री नहीं बनने दिया।

मोदी ने कहा कि 1984 में जब श्रीमती इंदिरा गांधी की हत्या हुई तो राजीव गांधी दिल्ली से बाहर कोलकाता में थे। वह तुरंत दिल्ली आए और कुछ ही पल में उन्हें प्रधानमंत्री पद की शपथ दिला दी गई। उन्होंने कहा, परंपरा की बात करने वाली कांग्रेस से मैं पूछना चाहता हूं कि क्या कोई संसदीय दल की बैठक हुई थी? क्या संसदीय दल ने (राजीव को) प्रधानमंत्री चुना था? दो-चार लोगों ने हड़बड़ी में उन्हें प्रधानमंत्री बनाने का फैसला कर डाला और आज हमें परंपरा की सीख दी जा रही है। उन्होंने कहा कि 2004 के लोकसभा चुनाव के बारे में भी ‘मैं दावे से कह सकता हूं कि (कांग्रेस के) किसी संसदीय दल ने मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री नहीं चुना था। उसने सोनिया गांधी को इस पद के लिए चुना था, लेकिन बाद में सोनिया ने सिंह को मनोनीत कर उन्हें इस पद पर नियुक्त कर दिया।

संसदीय परंपरा की बातें करके कांग्रेस के नेता सच्चाई से नहीं बच सकते। कुछ कांग्रेसी नेताओं द्वारा उन्हें ‘चाय वाला’ कहे जाने पर व्यंग्य करते हुए मोदी ने कहा कि इन दिनों चाय वाले की बड़ी खातिरदारी हो रही है। देश का हर चाय वाला आज सीना तान कर घूम रहा है। चाय वाले से भिड़ने में कांग्रेस को बड़ी शर्मिन्दगी हो रही है। ये बहुत ईमानदार हैं, लोग कहते हैं  उन्हें (कांग्रेस को) ईमानदार से मुकाबला करने में शर्म महसूस होती है। कांग्रेसियों के मेरे बारे में ऐसे बयान उनकी सामंतवादी मानसिकता को दर्शाते हैं ।

कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व पर हमला जारी रखते हुए मोदी ने कहा कि ‘टेप रिकार्ड’ पर भरोसा करें या ‘ट्रैक रिकार्ड’ पर। कांग्रेस की गलत नीतियों के कारण देश की हालत खराब है। देश की समस्याओं की जड़ में कुशासन है। सिर्फ ‘बिल’ (विधेयक) नहीं, बल्कि राजनीतिक ‘विल’ (इच्छाशक्ति) चाहिए और उन्हें लागू करने के लिए ‘दिल’ चाहिए। बिल बिल हम बहुत सुन चुके, अब एक्ट (कानून) नहीं एक्शन चाहिए। केन्द्र और राज्यों के परस्पर मिलजुल कर कार्य करने की अवधारणा को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री और राज्यों के मुख्यमंत्रियों को मिलकर काम करने की जरूरत है। साथ ही कहा कि क्षेत्रीय आकांक्षाओं को संकट नहीं समझना चाहिए, बल्कि उसे विकास का अवसर मानना चाहिए। क्षेत्रीय आकांक्षाओं को चुनौती नहीं मानना चाहिए, बल्कि उसकी इज्जत करनी चाहिए।

मोदी ने कहा कि गुजरात का कई वर्षों से मुख्यमंत्री होने के नाते संघीय ढांचे का क्या महत्व है, वह बखूबी समझते हैं। हर राज्य का महत्व और उसकी पीड़ा को वह भली-भांति समझ सकते हैं इसलिए सरकार बनने पर भाजपा संघीय ढांचे को शक्तिशाली बनाने में रूचि दिखाएगी।

उन्होंने कहा कि भारत का विकास समान रूप से नहीं हुआ है। इसमें क्या कमी और क्या खोट रह गई, उसे हम देखेंगे और दूर करेंगे। उन्होंने कहा कि भारत के पश्चिमी क्षेत्र में कुछ विकास नजर आ रहा है, लेकिन क्या कारण है कि मध्य से पूरा पूर्वी भारत विकास के लिए तड़प रहा है। ‘ये असंतुलन क्यों है। मैं विश्वास दिलाता हूं कि अगर मुझे सेवा का अवसर मिला तो पहली गारंटी भारत के वे इलाके जो पिछड़ गए हैं, उन्हें सबसे पहले आगे बढ़ाने का काम शुरू होगा।

मोदी ने कहा कि प्रधानमंत्री और राज्यों के मुख्यमंत्रियों की टीम बने। केन्द्र के मंत्रियों और राज्यों के मंत्रियों तथा केन्द्र एवं राज्यों के नौकरशाहों की टीम बने और ये सभी टीमें मिलकर देश के लिए काम करें। आम आदमी पार्टी के प्रभाव को संभवत: दिमाग में रखते हुए मोदी ने कहा कि लोकतंत्र अब तक प्रतिनिधि वाली रही, लेकिन अब समय आ गया है कि शासन में लोगों को अधिक से अधिक शामिल कर इसे जन भागीदारी वाला बनाया जाए।

संप्रग सरकार पर निशाना साधते हुए मोदी ने कहा कि देश ने पिछले एक दशक में जितने बुरे दिन देखे, उतने कभी नहीं देखे। भ्रष्टाचार और महंगाई चरम पर है और हर तरफ गरीबी है।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने 60 साल देश पर शासन किया है और अब समय आ गया है कि भाजपा को 60 महीने के लिए काम करने का मौका दिया जाए। 60 साल आपने शासक चुने .. मैं जनता से अपील करता हूं कि आपने शासकों को 60 साल दिए, अब इस सेवक को 60 महीने दीजिए। अब सेवक का समय आ गया है। मोदी ने चुटकी ली, हमारे विचार राष्ट्रवादी हैं और उनके (कांग्रेस के) विचार वंशवादी। उन्होंने राहुल की इस टिप्पणी के लिए भी उन पर प्रहार किया कि टिकट उन्हीं को दिया जाएगा, जिनके दिल में कांग्रेस है। ‘हमारी सोच है कि टिकट उन्हीं लोगों को दिया जाना चाहिए, जिनके दिल में देश है। महिलाओं की स्थिति के बारे में चिन्ता जताते हुए भाजपा नेता ने कहा कि सुसंस्कृत समाज के नाते हमारी मां-बहनों के साथ जो हो रहा है, वह मुंह दिखाने लायक नहीं है। महिलाओं की गरिमा और सुरक्षा हमें बनानी होगी। ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का नारा देते हुए उन्होंने कहा कि 21वीं सदी में भी गर्भ में बेटियों को मार देने से बड़ा कलंक और क्या हो सकता है?

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मोदी ने कहा कि नारी की तरफ देखने का दृष्टिकोण बदलना होगा। महिलाओं को हमें होम मेकर (गृहिणी) की बजाय राष्ट्र निर्माता (नेशनल बिल्डर) के रूप में देखना होगा।