NCPUL द्वारा 18वें राष्ट्रीय उर्दू पुस्तक मेले में दूसरे दिन भी पसरा है सन्नाटा

NCPUL द्वारा 18वें राष्ट्रीय उर्दू पुस्तक मेले में दूसरे दिन भी पसरा है सन्नाटा

कार्यक्रम में बोलते एमजे अकबर

नई दिल्ली:

उर्दू के विकास के लिए केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अधीन राष्ट्रीय उर्दू भाषा विकास परिषद द्वारा शनिवार से 18वां राष्ट्रीय उर्दू पुस्तक मेले का आयोजन किया गया है। यह नौ दिवसीय मेला जामिया मिलिया इस्लामिया के अंसारी ऑडिटोरियम परिसर में किया जा रहा है।
 


मेले का उद्घाटन राज्यसभा सांसद और भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता एम जे अकबर ने किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि सियासत इंसानों की ताक़त है जबकि किताब इंसानियत की ताक़त होती है और इस ताक़त को मात नहीं दी जा सकती। उन्होंने कहा कि लोग उर्दू से मोहब्बत का दावा तो करते हैं, लेकिन मोहब्बत उस वक्त तक क़ायम नहीं रहती जब तक उसमें यक़ीन ना हो। नौजवानों का उर्दू पर यक़ीन होना ज़रूरी है।

किताबों से दूरी दुनिया में फसाद की वजह
राष्ट्रीय उर्दू भाषा विकास परिषद के निदेशक प्रोफ़ेसर इरतज़ा करीम ने कहा कि नई नस्ल को यह शिक्षा दी जानी चाहिए कि वह किताबों से जुड़ें। उन्होंने कहा कि किताबों से दूरी दुनिया में फसाद की वजह है। जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफ़ेसर तलत अहमद ने कहा की यह पुस्तक मेला जामिया के लिए बहुत अहम है, उन्होंने मातृ भाषा के प्रचार प्रसार पर ज़ोर देते हुए कहा कि अपनी मातृ भाषा ज़रूर सीखनी चाहिए।

इस मेले में देशभर के 55 प्रकाशकों की विभिन्न विषयों पर पुस्तकें प्रदर्शित की गई हैं।

नौ  दिवसीय मेले में दूसरे दिन भी सन्नाटा छाया रहा!
मेले में आए लोगों के साथ स्टाल लगाने वाले ज़्यादातर प्रकाशकों का मानना है कि राष्ट्रीय उर्दू भाषा विकास परिषद द्वारा मात्र अखबारों में मेले के विज्ञापनों के अलावा और कुछ न करने से ही ये नौबत आई है।
 

(मेले में खाली हैं अधिकतर स्टाल)

जामिया नगर में बहुत सारे रहने वाले लोगों का कहना है कि उनको मेले के बारे में जानकारी ही नहीं थी। कुछ लोग जब यूनिवर्सिटी के करीब से गुजरे तब उन्होंने इसकी सूचना मिली।

प्रकाशकों का आरोप
मेले में दूसरे दिन भी लगातार उर्दू प्रेमियों के न पहुंचने से मायूस प्रकाशकों ने मेला आयोजकों पर आरोप लगाया कि प्रचार-प्रसार का कोई खास इंतजाम नहीं किया गया है। फैसल इंटरनेशनल के मोहम्मद नावेद सिद्दीकी कहते हैं कि जामिया यूनिवर्सिटी और उसके आसपास रहने वालों के अलावा और भी लोगों को पता नहीं है कि उर्दू किताब मेला लगा है। यही वजह है कि मेले में जो भीड़ शुरू से उमड़नी चाहिए थी, नहीं पहुंच रही है। मिल्ली पब्लिकेशन के मुनव्वर अहमद का मानना है कि अभी तो दो दिन ही बीते हैं आग़े लोग मेले में पहुंचें, इसके लिए मेला आयोजकों को प्रचार प्रसार पर खास ध्यान देना होगा।

क़ाज़ी पब्लिकेशन के इक़बाल उस्मानी तो इस बात पर आश्चर्य व्यक्त करते हैं कि जामिया जहां उर्दू के चाहने वाले बड़ी तादाद में रहते हैं, वे तक यहां नहीं पहुंच पा रहे हैं। एजुकेशन पब्लिकेशन के मुस्तफा ने बातों बातों में आयोजन की एक बड़ी खामी को सामने रखा। उन्होंने बताया कि मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन रात 8 बजे तक किया जा रहा है और आठ ही बजे तक स्टाल खुले रहते हैं। ऐसे में लोग सांस्कृतिक कार्यक्रम के बाद घर चले जाते हैं और स्टाल तक आने का मौका ही नहीं मिलता।

100 बुक फेयर कर चुके अल हसनात बुक के शहज़ाद आलम कहते हैं कि अभी मायूस नहीं हो सकते, लोग धीरे-धीरे आ रहे हैं, लेकिन ये ज़रूरी है कि स्टाल में किताबों का मेल हो, तभी लोग स्टाल की तरफ बढ़ेंगे। महाराष्ट्र से आए इक़रा एजुकेशन फाउंडेशन के आरिफ मसूद क़ासमी का मानना है कि राष्ट्रीय उर्दू भाषा विकास परिषद ने इसी साल औरंगाबाद में किताब मेले का आयोजन किया था, लोगों का हुजूम देखते बनता था। लेकिन, यहां पर इन दो दिनों में मायूसी ही हाथ लगी है। उन्होंने उम्मीद जताई कि आने वाले दिनों में लोग आएंगे।

इलाहाबाद से आए न्यू व्यू पब्लिकेशन के युसूफ अहमद कहते हैं कि दिल्ली में रीडरशिप नहीं है इस लिए लोग नहीं आ रहे हैं। इसलिए यहां किताबों की बिक्री नहीं है। उनका अनुमान है कि मेले के आखिरी चार दिनों में अच्छी बिक्री होगी।

उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी का स्टाल खाली
पूरे मेले में सिर्फ उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी का स्टाल पूरी तरह खाली है। उसमें न तो किताबें दिखीं और न ही कोई कर्मचारी दिखा। लोग स्टाल पर आकर मायूस लौट रहे हैं।  जब इस संबंध में उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी के चेयरमैन नवाज़ देवबंदी से फोन पर बात की गई तब उनका कहना था कि  उनको इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। वे खुद इस खबर पर हैरान से दिखे।
 

(खाली पड़ा यूपी का स्टाल)

इस मामले में बाद उन्होंने सफाई में कहा कि अकादमी की पुस्तकें ट्रांस्पोटर की वजह से दिल्ली नहीं पहुंच पाई हैं। मेले में आए लोगों की मांग थी कि आखिर इस पूरे मसले पर किसकी लापरवाही है इसकी जांच होनी चाहिए।

राष्ट्रीय उर्दू भाषा विकास परिषद के अधिकारी का बयान
मेले में दो दिन से कम भीड़ की असल वजह बताते हुए परिषद के अधिकारी शम्श इक़बाल कहते  हैं कि मेले के प्रचार-प्रसार में कोई कमी नहीं रखी गई। लगभग 125 अखबारों को विज्ञापन दिया गया। जामिया यूनिवर्सिटी के आसपास पोस्टर बैनर लगाकर मेले के बारे में जानकारी भी दी गई। उन्होंने कहा कि ट्रेड फेयर का भी असर इस मेले पर पड़ रहा है। फिर भी हमारी कोशिश है कि मेले की जानकारी आम लोगों तक पहुंचे ताकि लोग ज़यादा से ज़यादा फायदा उठा सकें।

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नीचे देखें मेले का पूरा प्रोग्राम